ऑनलाइन कंपनियों को 20 अप्रैल से मिलने वाली छूट पर व्यापारी नाराज, डिप्टी सीएम से गुहार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ, लॉकडाउन काे करीब चार हफ्ते बीतने जा रहे हैं। इस दौरान कारोबार पूरी तरह से बंद है। ऐसे में आगामी 20 मई से ई-कामर्स कंपनियों की ऑनलाइन बिक्री शुरू किए जाने से व्यापारी नाराज हैं। उनका कहना है कि इससे खुदरा कारोबार ध्वस्त हो जाएगा। चाहे वह मोबाइल सेक्टर हो या फिर इलेक्ट्रानिक आइटम अथवा अन्य किसी ट्रेड की वस्तु। लॉकडाउन के दौरान जहां ई-कामर्स कंपनियां गुम हो गई थीं वहीं व्यापारी आमजन और जरूरतमंदों को आज भी भोजन, राशन, दवा पहुंचा रहा है। सरकार ई-कामर्स कंपनियों की बिक्री की अनुमति वापस ले। संगठनों ने नाराजगी जताई है।
सीएम को भेजा पत्र, 15 मई तक प्रतिबंधित हो ऑनलाइन बिक्री
लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र ने कहा कि ऑनलाइन बिक्री 15 मई तक प्रतिबंधित की जाए। सीएम को भेजे पत्र में उन्होंने ऑनलाइन बिक्री की अनुमति को वापस लेने की मांग की गई है। बताया गया है कि लॉकडाउन अवधि में व्यापार पूरी तरह बंद रहा। इससे छोटे मध्यम कारोबारी भारी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। खर्चे यथावत हैं। ऐसे में इलेक्ट्रानिक, कपड़ा, मोबाइल, किराना आदि कारोबार करने के लिए अगर पहले से ही ई-कामर्स कंपनियों के लिए रास्ते खोल दिए जाएंगे तो व्यापारी तबाह हो जाएगा। इस संकट के दौरान भी व्यापारी हर मौके पर सरकार के साथ खड़ा हुआ है। लिहाजा ई-कामर्स कंपनियों को दी गई अनुमति वापस ली जाए।
अध्यक्ष अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल संदीप बंसल ने कहा, खुदरा व्यापारी ही लॉकडाउन की अवधि में अपने व्यापार को बंद कर आवश्यक सेवाओं के साथ-साथ दवाइयां, पूड़ी, राशन के पैकेट उपलब्ध करा रहा है। वहीं ऑनलाइन कंपनियां महामारी के समय गायब हो गईं हैं। अगर केंद्र सरकार ऑनलाइन ट्रेडिंग वालों को व्यापार करने की छूट देती है तो खुदरा व्यापारियों को इसका लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए?
डिप्टी सीएम से गुहार
आदर्श व्यापार मंंडल केे अध्यक्ष संजय गुप्ता नेे कहा, बिजली के फिक्स चार्ज का बोझ व्यापारियों पर थोपा गया है। आमदनी बंद है। बजाए राहत देने के सरकार ई-कामर्स कंपनियों को छूट दे रही है जो गलत है। कारोबार के लिए संबंधित ट्रेड के व्यवसायियों को छूट दी जाए। संगठन की ओर से डिप्टी सीएम से गुहार लगाते हुए एक पत्र लिखकर तत्काल अनुमति रद करने की मांग की गई है।
स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह चौहान ने कहा, कोरोना महामारी के दौरान खुदरा व्यापारियों ने लॉकडाउन के बीच अपनी हरसंभव मदद की। स्थानीय व्यापारियों, संगठनो ने जनता को मुफ्त भोजन, राशन और दूसरी ज़रूरी वस्तुएं वितरित कीं और सरकार के कोष में सहायता की है। बावजूद इसके सरकार का 20 अप्रैल से केवल ऑनलाइन कंपनियों को व्यापार की अनुमति देना दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपातपूर्ण है।
कपड़ा व्यापार मंडल के अध्यक्ष अशोक माेतियानी ने कहा, ऑनलाइन ट्रेडिंग की छूट कुछ बड़ी कंपनियों को देने से देश का खुदरा व्यापार तबाह हो जायेगा। अतः इस छूट को बंद किया जाये और धीरे-धीरे बाजार खोलने की व्यवस्था की जाये। किराना, गल्ला एवं दवा के थोक व्यापारियों को फोन द्वारा आर्डर प्राप्त होने पर छोटे व्यापारियों तक माल पहुंचाने की सभी जिलों में छूट दी जाए।
उप्र. मोबाइल एसोसिएशन केे अध्यक्ष नीरज जौहर नेे कहा, सिर्फ ऑनलाइन कंपनियों को डिलीवरी की छूट दिया जाना गलत है। खुदरा काराेबारी क्यों नहीं? सरकार के साथ हर वक्त खड़ा होने वाला व्यापारी जब बाजार लॉकडाउन के बाद ओपेन होगा तब तक ई-कामर्स कंपनियां मोबाइल बाजार को तबाह कर चुकी होंगी। सरकार इस फैसले काे वापस ले। या फिर खुदरा कारोबारियों को भी इसमें शामिल करे।