गाजीपुर: अजान पर रोक के खिलाफ सांसद अफजाल की PM मोदी को चिट्ठी, हाईकोर्ट में भी गुहार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर में लॉकडाउन का हवाला देते हुए मस्जिदों से अजान पर रोक लगा दी गई है। दो दिन पहले लगी रोक के खिलाफ गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र लिखते हुए याचिका के रूप में स्वीकार करने की अपील की है। गाजीपुर में रमजान शुरू होने से पहले हुई बैठक के बाद जिलाधिकारी ने सहरी और इफ्तार के वक्त अजान की इजाजत दी थी। लेकिन बाद में अजान पर पूरी तरह रोक लगा दी थी।
जिला प्रशासन के इसी रोक के खिलाफ प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि गाजीपुर में पहले तीन फिर दो लोगों में कोरोना का संक्रमण मिला। पांचों लोग ठीक होकर अपने घर भी आ गए। बाद में एक महिला में भी संक्रमण मिला। उसका इलाज वाराणसी में चल रहा है। इन संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने मस्जिदों में नमाज पर रोक लगा दी। प्रशासन के आदेश को लोगों ने स्वीकार भी कर लिया। लोग अपने घर पर ही नमाज पढ़ने लगे। इसी बीच अचानक 24 अप्रैल को मस्जिदों से होने वाली अजान पर भी रोक लगा दी गई। रमजान के पवित्र महीने में अजान पर लगी रोक से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
सांसद ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में इसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया। पत्र को याचिका के रूप में स्वीकार करने की अपील भी की है। सांसद ने लिखा है कि 23 मार्च से पूरे देश के साथ गाजीपुर में भी लॉकडाउन हुआ। सरकार के आदेश पर हर तरह की धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई। सभी लोगों ने सरकार के आदेशों को स्वीकार किया और उसका पालन कर रहे हैं। मस्जिदों में नमाज पढ़ने की जगह घर पर ही नमाज पढ़ रहे हैं। इसी दौरान गाजीपुर जिला प्रशासन ने अचानक रमजान के एक दिन पहले 24 अप्रैल को मस्जिदों से होने वाली अजान पर भी रोक लगा दी। सांसद ने कहा कि मस्जिदों से होने वाली अजान पर किसी भी राज्य या देश के किसी हिस्से में रोक नहीं है।
सांसद ने कहा कि पुलिस और अधिकारियों ने धमकी दी है कि मस्जिदों से अजान हुआ तो रासुका के तहत कार्रवाई होगी। सांसद ने आरोप लगाया कि कई मस्जिदों के इमामों के खिलाफ बिना किसी कारण एफआईआर भी लिखी गई है।
सांसद ने कहा कि लोगों की शिकायतों के बाद गाजीपुर के कई अधिकारियों से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई। लेकिन कोई कुछ भी नहीं बोल रहा है। यहां तक कि अजान पर रोक का केवल मौखिक आदेश उनके पास है। कोई नहीं बता रहा कि किसके आदेश पर अजान रोकी जा रही है।
सांसद ने कोर्ट से मांग की कि रमजान एक पवित्र महीना माना जाता है। लोग पांच वक्त की नमाज घर पर ही अदा कर रहे हैं। उन्हें पवित्र अजान से ही नमाज का सही समय पता चलता रहा है। खासकर सहरी और इफ्तार के समय अजान से ही लोग नमाज के लिए अलर्ट होते हैं। सांसद ने कोर्ट से अपील की कि लोगों के मौलिक अधिकार और रमजान के पवित्र महीने को ध्यान में रखते हुए मस्जिद में केवल मौजिन को जाने की इजाजत मिले और अजान पर रोक हटाई जाए। उन्होंने अपने पत्र को पीआईएल स्वीकार करने की गुजारिश करते हुए अधिकारियों को लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता पर रोक लगाने से रोकने की मांग की।