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यूपी: KGMU और CDRI में हुआ करार, मिलकर करेंगे कोरोना की दवा तैयार

COVID-19: निदेशक तपस कुंदू ने बताया कि संस्थान ने लक्ष्य आधारित सीक्वेंसिंग सिस्टम विकसित किया है. जिसमें वैज्ञानिकों ने सार्स 2 के विरुद्ध ड्रग टारगेट्स के लिए अणु की लाइब्रेरी तैयार की है.
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. राजधानी लखनऊ (Lucknow) में कोविड 19 (COVID-19) से लड़ने के लिए शहर के दो बड़े संस्थान साथ आए हैं. शहर की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) और सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI) ने कोरोना बीमारी की प्रभावी दवा बनाने के लिए एमओयू साइन किया है. संस्थान के निदेशक प्रो. तपस कुंदू ने बताया कि एमओयू के तहत किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी पॉजिटिव मरीजों के सैम्पल से आरएनए अलग करके संस्थान को देंगे. इसके बाद हम उसकी सीक्वेंसिंग कर प्रभावी दवा तैयार करेंगे. वहीं, केजीएमयू के कुलपति डॉ एम एलबी भट्ट ने कहा कि दोनों संस्थानों का संयुक्त प्रयास बीमारी से लड़ने में सकारात्मक प्रभाव डालेगा.

निदेशक तपस कुंदू ने बताया कि संस्थान ने लक्ष्य आधारित सीक्वेंसिंग सिस्टम विकसित किया है. जिसमें वैज्ञानिकों ने सार्स 2 के विरुद्ध ड्रग टारगेट्स के लिए अणु की लाइब्रेरी तैयार की है. इन सभी अणुओं को कंप्यूटर की मदद से 'इन सलिको' अप्रोच के साथ परखा जा रहा है. इससे वायरस के आरएनए के जीन सीक्वेंस के वेरिएशन को समझने में मदद मिलेगी. वायरस के प्रोटीन के साथ इन अणुओं संदमित किया जाएगा. जो मॉलीक्यूल वायरस के खिलाफ प्रभावी होगा वह उसके जीन सीक्वेंसिंग को रोक देगा. इससे हमें पता चल जाएगा कि कौन सा मॉलीक्यूल दवा के लिए कारगर है.

कोरोना वायरस के वेरिएंट्स का भी लगाएंगे पता
सीडीआरआई के वैज्ञानिकों का दावा है कि आरएनए सैम्पल की सीक्वेंसिंग के अध्ययन से कोरोना वायरस की कौन से वेरिएंट्स देशवासियों को प्रभावित कर रहे हैं का भी पता लगेगा. कई शोधों से यह पता चला है कि कोरोना वायरस के आठ अलग-अलग वेरिएंट्स भारतीयों को प्रभावित कर रहे हैं. वेरिएंट्स की जानकारी से दवा को और प्रभावी बनाए जाने में मदद मिलेगी. संस्थान ने वायरल सीक्वेंस के म्युटेशन से संबंधित प्रभावों की निगरानी के लिए टीम भी बना दी है.
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