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उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लघु और मध्यम उद्योगों को खोलने की मिली अनुमित

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. यूपी में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को जल्द से जल्द खोलने के आदेश दे दिए गए हैं। यूपी के चीफ सेक्रेटरी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है कि सभी जिलाधिकारी को कह दिया गया है कि कोविड-19 के कारण घोषित लाॅकडाउन के नियमों का पालन करते हुए इन उद्योगों को खोलने की अनुमित दी जाए। 

चीफ सेक्रेटरी की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि हाॅटस्पाट कन्टेंनमेंट क्षेत्र से बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को ही चलाने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा है कि जिला उद्योग केन्द्र के उपायुक्त द्वारा स्थानीय चिकित्साधिकारियों के साथ समय-समय पर इन उद्योगों का निरीक्षण कर सोशल डिस्टेन्सिंग एवं सेनेटाइजेशन आदि के निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराया । उन्होंने कहा है कि इन इकाइयों के कर्मचारियों की थर्मल स्कैनिंग कराने के साथ-साथ रेण्डम आधार पर कुछ कर्मचारियों का आरटी-पीसीआर टेस्ट भी कराया जाए।  



कोविड-19 के कारण घोषित लाॅकडाउन के नियमों का पालन करते हुये ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को सभी जिलाधिकारी यथाशीघ्र प्रारम्भ करायें।




सरकार ने मांगा था प्लान :
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि कोरोना संक्रमण की हर चेन को तोड़ने के लिये जरूरी है कि लोग लॉकडाउन का सख्ती से पालन करें और सामाजिक दूरी पर विशेष ध्यान दें। मुख्यमंत्री ने तीन मई 2020 के बाद औद्योगिक इकाइयों को किस प्रकार शुरू किया जाए, इसके लिए एक कार्य योजना तैयार करने का आदेश दिया है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने की कार्य योजना बनायी जाए।

मुख्यमंत्री लखनऊ में लोकभवन में एक उच्चस्तरीय बैठक में लॉकडाउन व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रयागराज से वापस भेजे जा रहे प्रतियोगी छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाए। वाराणसी, हापुड़, रामपुर, मुजफ्फरनगर तथा अलीगढ़ में वरिष्ठ प्रशासनिक, पुलिस एवं स्वास्थ्य अधिकारी भेजे जाएं। उन्होंने कहा कि ग्रीन जोन तथा ओरेंज जोन में अनुमन्य की जाने वाली गतिविधियों के लिए एक कार्य योजना बनायी जाए। महिला स्वयं सहायता समूहों को मास्क आदि के निर्माण कार्य से जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि प्रत्येक जिले में 15,000 से 25,000 क्षमता के पृथक केन्द्र तथा आश्रय स्थल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में बड़ी मात्रा में भूसा उपलब्ध है। इसके दृष्टिगत निराश्रित गोवंश के लिए गोवंश आश्रय स्थलों पर भूसा बैंक स्थापित किया जाए।



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