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हाईकोर्ट ने पूछा, वकीलों की आर्थिक मदद की क्या हैं योजनाएं

गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया और यूपी बार कौंसिल लॉक डाउन के दौरान वकीलों की परेशानी दूर करने के लिए बनाई गई योजना की जानकारी मांगी है। न्यायालय ने पूछा है कि बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया एक्ट की धारा 44 ए व 44 बी के प्रावधानों के तहत अधिवक्ता कल्याण की क्या योजना बनाई गई है। साथ ही हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को भी वकीलों की सहायता के लिए बनाई गई योजना अगली सुनवाई पर पेश करने का निर्देश दिया है। सभी पक्षकारों के प्रतिनिधियों से अगली सुनवाई पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने को कहा है। मामले पर अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। न्यायालय ने इससे पूर्व बार काउंसिल ऑफ इंडिया, यूपी बार कौंसिल, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, अवध बार एसोसिएशन आदि को नोटिस जारी कर लॉक डाउन के दौरान वकीलों की परेशानी दूर करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी मांगी थी। मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जीएस परिहार व महासचिव शरद पाठक ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उपस्थित हुए और बार काउंसिल ऑफ इंडिया, यूपी बार कौंसिल व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने ई-मेल से जवाब भेजा। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने न्यायालय को बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया और यूपी बार कौंसिल के पास वकीलों की सहायता करने के लिए पर्याप्त फंड है। बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया एक्ट की धारा 44 ए व 44 बी के तहत अधिवक्ता कल्याण समिति का गठन करने और कारपस फंड बनाने का प्रावधान है ताकि आपत्तिकाल में वकीलों की मदद की जा सके । उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है, जो राज्य सरकार ने हस्तांतरित भी कर दी है।

यूपी बार कौंसिल के जवाब में बताया गया कि वकीलों की सहायता के लिए योजना बनाई जा रही है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी बताया कि जिन वकीलों को पैसे की आवश्यकता है उनकी मदद के प्रयास किए जा रहे हैं । अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जीएस परिहार का कहना था कि वकीलों की सहायता के लिए अस्थायी योजना बनाई गई है लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया और यूपी बार कौंसिल की ओर से निश्चित योजना बनाने की जरूरत है। गौरतलब है कि कानपुर के अधिवक्ता पवन कुमार तिवारी ने 31 मार्च को प्रयागराज आकर वकीलों की आर्थिक मदद से जुड़ी अपनी याचिका पर सुनवाई की मांग की थी लेकिन न्यायालय ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। बाद में गत नौ अप्रैल को स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले में सुनवाई शुरु की।

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