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छात्राओं को होगा छात्रवृत्ति का पहला अधिकार, यूपी सरकार नियमावली में करने जा रही बदलाव

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार समाज कल्याण विभाग के शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति के नियमों में बदलाव करने जा रही है। नए बदलाव के तहत छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का पहला अधिकार छात्राओं को होगा। दिव्यांग छात्र-छात्राओं को भी योजना का लाभ पहले दिया जाएगा। इसके बाद जितना भी बजट बचेगा उससे सामान्य वर्ग के छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी। 

वर्तमान में समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के अलग-अलग नियम हैं। इस कारण एक ही अर्हता पर छात्रों को एक विभाग छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति कर देता है जबकि दूसरा विभाग रोक देता है। इसी को देखते हुए समाज कल्याण विभाग इस बार नियमावली में बदलाव करने जा रहा है। साथ ही अन्य विभागों की नियमावली में भी एकरूपता लाने की योजना है।

यह बदलाव इसलिए जरूरी है क्योंकि समाज कल्याण विभाग को इस वर्ष सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए मात्र 500 करोड़ रुपये बजट मिला है। पिछले वित्तीय वर्ष में यह बजट 825 करोड़ रुपये था। कम बजट में अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं को योजना का लाभ कैसे दिया जाए, इस पर मंथन चल रहा है। विभाग ने नियमावली संशोधन का जो प्रस्ताव तैयार किया है उसमें दिव्यांग छात्र-छात्राओं को योजना का लाभ पहले देने की सिफारिश की गई है। साथ ही पहले छात्राओं को शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ दिया जाए। इससे सभी छात्राओं को योजना का लाभ मिल जाएगा।

इसके बाद जो बजट बचे उससे सामान्य वर्ग के छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी। अगर बजट बच जाए तो फिर छात्रवृत्ति प्रदान की जाए। नियमावली में ऐसे बिंदु शामिल किए जा रहे हैं जिससे 60 फीसद से कम अंक वाले छात्र-छात्राएं आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। पहले आवेदन के लिए 50 फीसद अंकों की अनिवार्यता थी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि आवेदन करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या सीमित रहे। समाज कल्याण विभाग जल्द ही संशोधित नियमावली का प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भेजेगा। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे उत्तर प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
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