गाजीपुर: बेबस किसान ने उजाड़ दी तीन बीघा सब्जी कीे खेती
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. लॉकडाउन के चलते व्यवसाय के साथ खेती-किसानी का भी बुरा हाल है। इसको लेकर जिले के अलग-अलग हिस्सों से कुछ अच्छी तो कुछ बेहद ही मार्मिक तस्वीर सामने आ रहीं हैं जिसे देखकर किसी का भी मन द्रवित हो जाएगा। जी हां, यह तस्वीर है भांवरकोल ब्लॉक के रानीपुर की। भांवरकोल के कुछ किसान अपनी मिर्च और लौकी लंदन भेज रहे हैं, तो वहीं लॉकडाउन में सब्जी की बिक्री न होने से मूली किसान तौफीक अहमद उर्फ गुड्डू स्वयं खड़े होकर अपने खून पसीने से उगाई सब्जी की खेती को उजाड़ रहे हैं।
दरअसल, लॉकडाउन के कारण बक्सर, आजमगढ़, मऊ और बलिया समेत आसपास के सभी जिलों की सीमाएं सील कर दी गई हैं। नावों का परिचालन भी बंद कर दिया गया है जिससे किसानों की मूली की खेप आसपास के जिलों में भेजना मुश्किल हो रहा है। तौफीक अहमद ने बताया की कई बार बिक्री का प्रयास भी किया लेकिन असफल रहा। लॉकडाउन में कोई मूली एक रुपये किलो तक लेने को तैयार नहीं है। भांवरकोल ब्लॉक के पाताल गंगा स्थित सब्जी मंडी में कोरोना के चलते खरीदार पहुंच ही नहीं रहे हैं। यही कारण है कि गुड्डू मायूसी के साथ ट्रैक्टर और रोटावेटर से अपनी मूली की खेती को बर्बाद कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हमारे पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। बक्सर बिहार सब बंद है। फसल खराब हो रही है, और कितना इंतजार करेंगे बिकेगा की नहीं बिकेगा। पिछले 20 दिन से इंतजार कर रहा हूं। अगली फसल भी तो बोना है। इसीलिए वह मेहनत से उगाई गई मूली को खुद रौंदवाने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि दो अलग-अलग खेतों में उन्होंने लगभग तीन बीघा मूली उगाई थी। अंदाजा था कि दो से तीन लाख लाख का मुनाफा होगा लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो सका। इसकी खेती में 80 से 85 हजार की लागत लगी थी लेकिन लॉकडाउन के चलते लागत मूल्य भी निकलना मुश्किल है। पहले नाव से मूली बक्सर भेजी जाती थी। अच्छा मुनाफा हो रहा था, लेकिन लॉकडाउन में नावों का परिचालन भी बंद है। इसीलिए वह खून पसीने की कमाई मिट्टी में मिलाने को मजबूर हैं।