Today Breaking News

गाजियाबाद में टूटा लॉकडाउन: मगर इनकी मजबूरी को जरा समझ लीजिए कैसे मौत से जंग लड़ रहे सैकड़ों परिवार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजियाबाद/साहिबाबाद. एक तरफ कोरोना का कहर तो दूसरी तरफ राशन की किल्लत। दोनों ही परेशानियों ने अर्थला में रहने वाले जरूरतमंद लोगों को उस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। लोग घर के अंदर रहें या बाहर, दोनो ही जगह मौत से जंग लडऩे के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। घर के अंदर रहने पर राशन नहीं मिल रहा और बाहर जाने पर हजारों लोगों के साथ लाइन में लगना पड़ता है। लाइन में लगने के दौरान कोरेाना के संक्रमण का डर बनता है, लॉकडाउन के नियम टूटते हैं।

चार दिन से बंद कर दिया गया भोजन का वितरण
अर्थला में चार दिन पहले तक भूख से व्याकुल लोगों को पका हुआ भोजन नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मुहैया करवाया जा रहा था लेकिन अब उसे बंद कर दिया गया है। जिसका कारण बड़ी संख्या में लोगों को भोजन नहीं मिल पाना था, पूरे परिवार को राशन लेने के लिए लाइन में लगना पड़ रहा था। अपने हिस्से के भोजन में से ही बच्चों के खाने के लिए भी माता-पिता इंतजाम करते थे। यह व्यवस्था फेल हुई तो लोगों को राशन मुहैया कराने की व्यवस्था शुरू की गई, जिससे की घर में खाना बनाकर पूरा परिवार खा सके।



चंद लोगों को मिल पाता है कच्चा राशन
राशन के वितरण के दौरान भी वही स्थिति पैदा हो गई। डबास रोड पर चार दिन से लाइन लगती है, यहां कच्चा राशन बांटने के लिए प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंचते हैं। रोजाना सुबह दस बजे से राशन की आस में सैकड़ों लोग दोपहर तक खड़े रहते हैं लेकिन राशन मिलता है चंद लोगों को। मंगलवार के बाद बुधवार को भी लगातार दूसरे दिन राशन न मिलने पर लोगों ने हंगामा किया। पुलिस ने लोगों को लाठी फटकार कर वापस घर जाने को कहा। महिलाएं पुलिस के सामने रोते हुए कहने लगीं की लॉकडाउन के कारण घर में कमाई बंद है, परिवार के सामने भुखमरी के हालात हैं। अब फटकार नहीं राशन दिला दो साहब। हम फटकार खा लेंगे लेकिन बच्चों को तो खाना ही चाहिए।

लोगों ने कहा
पति बेलदारी करते थे, अब कमाई बंद है। परिवार में दो छोटे बच्चे हैं, घर में दो टाइम के लिए भी राशन नहीं बचा है। इस परेशानी से बचने के लिए जान का जोखिम उठाकर राशन के लिए लाइन में लगे थे लेकिन राशन नहीं मिला-रूबी देवी

परिवार में सात लोग हैं, जिनमें से तीन लॉकडाउन से पहले कमाने जाते थे लेकिन अब कमाई बंद है। सैलरी भी नहीं मिल रही है। घर में अब इतना राशन नहीं है कि एक टाइम का भी खाना पूरा परिवार खा सके।-किरन

अधिकारी ने कहा- 
अर्थला में राशन वितरित किया जाता है, लेकिन अव्यवस्था होने के कारण हम लोग राशन लेकर वापस लौट आए। अब लोगों के मोबाइल नंबर लेकर उनको राशन मुहैया कराने की व्यवस्था की जाएगी। - धर्मेंद्र, नोडल अधिकारी।



'