उत्तर प्रदेश में कोरोना कहर को मुंह चिढ़ाता खाद्यान्न वितरण का योगी मॉडल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर। कोरोना वायरस संक्रमण के खौफ़नाक दौर में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश ने एक ही दिन में 1.5 लाख मीट्रिक टन रिकार्ड खाद्यान्न वितरण कर एक नया इतिहास रच दिया है। यूं तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में UP ने ऐसे अनेक कारनामों को अंजाम दिया है लेकिन लॉकडाउन की चुनौतीपूर्ण हालातों के दरम्यान एक ही दिन में 03 करोड़ यूनिट खाद्यान्न का वितरण, इस रिकार्ड को अधिक उपलब्धिपरक बनाता है। यहां पर यह जानना आवश्यक है कि सम्पूर्ण वितरण, आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से हुआ है, लिहाजा लाभार्थियों की संख्या संदेह से परे है।
उ.प्र. खाद्य एवं रसद विभाग की प्रमुख सचिव, निवेदिता शुक्ला वर्मा बताती हैं कि प्रत्येक लाभार्थी को सही समय पर, पूर्ण पारदर्शिता के साथ राशन प्राप्त हो, इस हेतु विभाग सक्रिय और संकल्पित है।
अधिकारियों पर पड़ा नेतृत्व का असर
गौरतलब है कि इंसानी तारीख़ में जब कभी ऐसा मुश्किल वक्त आया है तो समाज को एक नहीं दो महामारियों का सामना करने हेतु विवश होना पड़ा है। एक, जो महामारी फैलती है और दूसरी, उसकी ही कोख से जन्मी 'भूख' का। दोनों महामारियों का पहला शिकार गरीब तबका ही रहा है। लेकिन कोविड-19 नामक मौजूदा महामारी यदि उत्तर प्रदेश में अपना पूर्व इतिहास दोहरापाने में असफल होती दिखाई पड़ रही है तो उसका पूरा श्रेय योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व को जाता है। सीएम योगी ने अभिनव प्रयोग करते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण कर, अधिकारियों को ताकीद किया कि प्रदेश में कोई भी भूखा न रहे। हर जरूरतमंद को प्रत्येक स्थिति में राशन मुहैया हो, चाहे वह कार्डधारक हो अथवा न हो।
80 हजार दुकानों से मिल रहा राशन
योगी सरकार की संवेदनशील सक्रियता का ही परिणाम है कि कोरोना संक्रमण की दुःसाध्य स्थितियों में भी सभी को राशन प्राप्त हो इस हेतु द्वितीय चरण में प्रदेश की 80 हजार राशन की दुकानों में प्रातः 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक खाद्य वितरण किया जा रहा है। जिसका परिणाम है कि द्वितीय चरण में मात्र चार दिनों 15 से 18 अप्रैल तक 2.5 करोड़ राशन कार्डो के माध्यम से करीब 10.5 करोड़ लाभार्थियों को 5.2 लाख मीट्रिक टन राशन (चावल) वितरित हुआ है। जो कुल लक्ष्य का 75 प्रतिशत है।
राशन वितरण प्रक्रिया भी बदली
खाद्य एवं रसद विभाग के आयुक्त मनीष चौहान बताते हैं कि सभी को राशन प्राप्त हो इस हेतु खाद्य वितरण चक्र में भी परिवर्तन करते हुए प्रथम साइकिल को माह की 1-12 तारीख तथा दूसरे चक्र को माह की 15-26 तारीख किया गया है। द्वितीय चक्र में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत राशन कार्ड में दर्ज सदस्यों के आधार पर प्रति व्यक्ति निःशुल्क 05 किलो चावल दिया जा रहा है।
23 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश में वितरण के प्रथम चरण अर्थात 1-12 अप्रैल के मध्य 03 करोड़ 23 लाख 87 हजार 640 राशन कार्डों के सापेक्ष 13 करोड़ 40 लाख 10 हजार 29 व्यक्तियों को 7 लाख 45 हजार 618 मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है। इसमें से 35.46 प्रतिशत निःशुल्क तथा 64.54 प्रतिशत सशुल्क अनाज का वितरण हुआ है।
उपरोक्त खाद्यान्न वितरण के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि प्रदेश के प्रत्येक कार्डधारक, जिनकी संख्या सूबे की कुल आबादी की आधी से अधिक है, को राशन निर्धारित समय पर प्राप्त हो रहा है। विभाग के अपर आयुक्त सुनील वर्मा बताते हैं कि 02 प्रतिशत कार्डधारकों अर्थात लगभग 06 लाख 50 हजार से अधिक कार्डधारकों ने स्टेट पोर्टबिलिटी के माध्यम से राशन प्राप्त किया है।
कार्ड कहीं का भी हो, किसी भी दुकान से लें राशन
दरअसल खाद्यान्न प्राप्ति की प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए एक नवाचारी प्रयोग है, स्टेट पोर्टबिलिटी। जिसके माध्यम से कार्डधारक जहां से पंजीकृत है, उस राशन दुकान के अलावा भी अपनी सुविधानुसार पूरे प्रदेश में किसी भी राशन की दुकान से निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन कर खाद्यान्न प्राप्त कर सकता है। मतलब कोटेदार से सामंजस्य न होना, स्थानीय स्तर पर खेमेबंदी होना, कोटेदार का व्यवहार ठीक न होने जैसी अनेक समस्याओं का निदान स्टेट पोर्टबिलिटी के रूप में मिल गया है।
कहा जा सकता है कि स्टेट पोर्टबिलिटी की सुविधा कोटेदारों के 'अधिनायकवाद' की समाप्ति की दिशा में बहुत प्रभावशाली कदम साबित हो रहा है। 20 मार्च से 18 अप्रैल के मध्य विशेष अभियान के तहत 02 लाख 12 हजार नए कार्ड बनाए गये हैं ताकि मजदूर, मनरेगा श्रमिक तथा अन्य जरूरतमंदों को राशन मुहैया हो सके।
गौरतलब है इसके माध्यम से लगभग 8 लाख से अधिक नये लाभार्थी जुड़े हैं और यह क्रम अनवरत जारी है। इन सभी को भी 15 अप्रैल से राशन प्राप्त हो रहा है। राशन उपलब्धता के क्रम में ही प्रशासन द्वारा चिन्हित किए गये हॉटस्पॉटों में होम डिलीवरी के माध्यम से राशन वितरण पूर्ण कराया जा रहा है। इसके साथ ही लगभग 9000 निशक्त, दिव्यांगजन कार्डधारकों को भी होम डिलीवरी के माध्यम से राशन उपलब्ध किया जा रहा है।खाद्य वितरण में किसी भी प्रकार की अनियमितता को चिन्हित करने के लिए भी प्रशासन ने कई तरह की सख्ती बरती। खाद्य वितरण व्यवस्था की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी द्वारा खाद्य एवं रसद विभाग तथा विधिक माप विज्ञान विभाग के अधिकारियों की संयुक्त टीम बनाई गई। जिसके माध्यम से आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत कोटेदारों के विरुद्ध 356 एफ़आईआर दर्ज हुईं और 535 कोटे की दुकानें निलम्बित की गई हैं। इसके अतिरिक्त 144 उचित दर दुकानों को निर्धारित मात्रा से कम राशन देने की शिकायत के चलते, विधिक माप विज्ञान विभाग द्वारा घटतौली मानते हुए 3.78 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
दरअसल, कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम, लॉकडाउन की सफलता पर निर्भर करती है। निर्धन वर्ग को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से समयबद्ध प्राप्त हो रहा राशन, न सिर्फ एक प्रबल संभावित पलायन की संभावना को स्वतः समाप्त कर रहा है बल्कि लॉकडाउन की सफलता को भी पुष्टता प्रदान कर रहा है। इसके साथ ही सदियों से चला आ रहा 'महामारी' और 'भुखमरी' का काम्बोपैक भी पहली बार 'योगी मॉडल' के सामने हांफता दिखाई पड़ रहा है।