कोरोना वायरस: उत्तर प्रदेश में की गयी पहली प्लाज्मा थेरेपी सफल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। यूपी के लखनऊ में केजीएमयू में कोरोना संक्रमित मरीजों को बेहतर व आधुनिक इलाज मुहैया कराया जा रहा है। दवाओं के साथ मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी करने वाला केजीएमयू यूपी का पहला संस्थान बन गया है। अब यह नोडल सेंटर की तरह काम करेगा। उरई के 58 वर्षीय डॉक्टर में रविवार को प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग सफल रहा। यह जानकारी केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने सोमवार को ऑनलाइन प्रेस वार्ता में दी। कुलपति ने कोरोना को हराने वालों से प्लाज्मा दान करने की भी अपील की। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा देने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता। बल्कि गंभीर कोरोना पीड़ितों की जान बचाई जा सकती है।
महामारी में प्लाज्मा थेरेपी बड़ा हथियार
प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के इलाज में सफलता मिलने पर केजीएमयू प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को प्रशिक्षण देगा। कुलपति ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत 1918 में हुई थी। माहामारी से लड़ने में प्लाज्मा थेरेपी बड़ा हथियार है। वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति के शरीर में आईजीएम और आईजीजी तैयार हो जाती है। यह प्लाज्मा के जरिए दूसरे मरीज को राहत पहुंचाती है। ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में प्लाज्मा फ्रेसिस मशीन लगी है। इससे डोनर के शरीर से सिर्फ प्लाज्मा लिया जाता है।
कोरोना पीड़ित पांच प्रतिशत होते हैं गंभीर
कुलपति ने कहा कि कोरोना से सिर्फ 5 प्रतिशत लोग गंभीर होते हैं। ऐसे में ठीक होने वाले लोग प्लाज्मा दान के लिए आगे आएं। इन पांच प्रतिशत लोगों की जान बचाई जा सकती है। संक्रामक रोग यूनिट के प्रभारी डॉ. डी हिमांशु के मुताबिक कोरोना को हराने के तीन हफ्ते बाद विजेता प्लाज्मा दान कर सकते हैं।
रात में गंभीर हो गई थी डॉक्टर की हालत
केजीएमयू में भर्ती उरई के डॉक्टर की हालत बीती रात गंभीर हो गई थी। ऑक्सीजन का स्तर लगातार गड़बड़ा रहा था। डॉक्टरों ने उन्हें प्लाज्मा थेरेपी देने का फैसला किया। प्लाज्मा थेरेपी के बाद डॉक्टर की तबीयत स्थिर बनी हुई है। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। ब्लड प्रेशर, पल्स समेत दूसरे मानक अब कुछ हद तक काबू में हैं। वहीं शरीर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी भी तैयार करने लगा है। सोमवार रात आठ बजे दूसरी बार प्लाज्मा चढ़ाया गया। लखनऊ की पहली कोरोना मरीज के रूप में सामने आई कनाडा की महिला डॉक्टर ने रविवार को प्लाज्मा दान किया था।
प्लाज्मा दान सुरक्षित
ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि रक्तदान की तरह प्लाज्मा दान भी पूरी तरह सुरक्षित है। इससे दानदाता को किसी तरह की कमजोरी नहीं आती है। सबसे पहले संबंधित व्यक्ति की हेपेटाइटिस, एचआईवी, मलेरिया सहित 6 प्रमुख जांचें की जाती हैं। कोरोना विजेता में एंटीबॉडी का स्तर कितना है।
ये है डॉक्टरों की टीम
कोरोना की जांच व इलाज में मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ वीरेंद्र आतम, डॉ. केके सावलानी, डॉ. डी हिमांशु, ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा, हिमैटोलॉजी विभाग के डॉ. एसपी वर्मा, पैथोलॉजी विभाग के डॉ. वाहिद अली, डॉ. सुरुचि, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमिता जैन हैं।