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उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान भी नहीं थमा खून बहाने का सिलसिला, 15 दिनों में 100 से अधिक हत्याएं

गाजीपुर न्यूज़ टीम, राज्य ब्यूरो. लखनऊ.  उत्तर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण काल में भी रंजिश की तस्वीर नहीं बदली है। सबसे संगीन अपराध यानी हत्या की घटनाएं इसकी गवाह हैं। खासकर जमीनी विवाद, अवैध संबंध, प्रेम प्रसंग व आपसी पुरानी रंजिश में खून बहाने का सिलसिला लॉकडाउन में भी नहीं थमा। जब सड़कों पर सन्नाटा है और लोग घरों में कैद हैं, तब भी सूबे में 100 से अधिक हत्याएं पुलिस रजिस्टर का हिस्सा बनी हैं। हालांकि लूट की घटनाओं में 89 फीसद और चोरी की वारदात में 65 प्रतिशत की कमी भी आई है। ऐसे ही अन्य अपराध भी कम हुए हैं। 

उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक युवक ने संपत्ति विवाद में वृद्ध महिला की गोली मारकर हत्या कर दी। इस दुस्साहसिक वारदात का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। लखनऊ के सआदतगंज में शादीशुदा युवक व उसकी प्रेमिका की पीटकर हत्या कर दी गई। इसी तरह बरेली में जमीन विवाद में युवक की गोली मारकर हत्या जैसी घटनाएं, लॉकडाउन में सामाजिक तानेबाने पर सवाल खड़ा कर रही हैं।

एक से 15 अप्रैल, 2020 के बीच सूबे में हत्या की 100 घटनाएं दर्ज हुईं। इसी अवधि में वर्ष 2019 में 145 हत्या दर्ज हुई थीं। मार्च के अंतिम सप्ताह में भी कई हत्याएं हुई थीं। हालांकि लॉकडाउन के दौरान हत्या के मामलों में औसतन 31 फीसद की कमी आई है। लॉकडाउन से पहले एक मार्च से 15 मार्च के बीच हत्या की 154 घटनाएं दर्ज हुई थीं। सबसे अधिक कमी लूट की घटनाओं में हुई है।

शातिर अपराधी भी लॉकडाउन हैं। एक से 15 अप्रैल के बीच लूट की केवल नौ घटनाएं दर्ज हुई हैं, जबकि इसी अवधि में पिछले साल लूट की 79 वारदात पुलिस डायरी का हिस्सा बनी थीं। इसी अवधि में चोरी की 122 घटनाएं हुईं, जो पिछले साल 352 थीं। लूट में करीब 89 फीसद व चोरी में 65 प्रतिशत कमी पुलिस को राहत दे रही है।

लॉकडाउन में गिरा हादसों का भी ग्राफ
लॉकडाउन में जब सड़कों पर सन्नाटा है, तब दुर्घटनाओं का ग्राफ गिरना स्वाभाविक है। हुआ भी ऐसा ही है। यातायात निदेशालय के मार्च माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह तस्वीर साफ होती है। पिछले पांच सालों की तुलना में इस बार मार्च में 878 हादसे कम हुए। आंकड़ों की नजर में पिछले सालों की तुलना में हादसों में 22 फीसद की कमी है। इस अवधि में हादसों में होने वाली मौतों की तुलना करें तो करीब 429 का आंकड़ा कम हुआ है। ऐसे ही घायलों की संख्या में 513 की कमी हुई है। प्रदेश में 23 मार्च को लॉकडाउन घोषित हुआ था। ऐसे में अब अप्रैल माह में दुर्घटनाओं के आंकड़े जरूर पिछले सालों की तुलना में बड़ी राहत देने वाले होंगे।
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