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लॉकडाउन में पलायन करने वाले 90 फीसदी दलित, सरकारों ने की अनदेखी -मायावती

मायावती ने कहा कि Lockdown के दौरान राज्य सरकारों द्वारा दलितों और गरीबों की उपेक्षा की गई. सरकारों ने इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की.
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती (Mayawati) ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर से देश भर में लागू लॉकडाउन की वजह से दलितों और अति पिछड़ों की स्थिति और दयनीय हो गई. उन्होंने कहा कि यही वजह रही कि देश के कई हिस्सों से लोग पलायन करने को मजबूर हुए. उन्होंने कहा कि पलायन करने वालों में 90 फीसदी दलित और अति पिछड़े थे.

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 129वीं जयंती पर अपने संबोधन में मायावती ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों द्वारा दलितों और गरीबों की उपेक्षा की गई. सरकारों ने इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की. इस वजह से इस तबके के लोगों ने अपने-अपने घरों के लिए पलायन करना उचित समझा. इसके बाद सरकारों ने उन्हें ट्रकों और बसों से शेल्टर होम पहुंचाया. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से दलितों और गरीबों की स्थिति दयनीय हो गई है. मायावती ने केंद्र सरकार से अपील की कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का ख्याल केंद्र सरकार रखे.

आज भी नहीं बदली जातिवादी मानसिकता
मायावती ने कहा कि आज भी जातिवादी मानसिकता पूरी तरह से नहीं बदली है. आज ये बात मुझे बड़े दुख के साथ इसलिए भी कहनी पड़ रही है, क्योंकि जैसे ही कोरोना वायरस महामारी अपने देश में फैली और केंद्र सरकार ने इसे फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की. उसके बाद दिल्ली समेत यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में रोजी-रोटी कमाने के लिए गए लोगों ने अपने मालिकों व राज्य सरकारों की उपेक्षा को देखते हुए मजबूरी में इन लोगों ने अपने-अपने घरों के लिए पलायन करने लगे. यहां मैं यह भी बताना चाहूंगी के पलायन करने वाले लगभग 90 फ़ीसदी दलित, आदिवासी व अति पिछड़े वर्ग से थे. जबकि 10 फ़ीसदी समाज के अन्य वर्गों के गरीब लोग थे. जब ये लोग अपने-अपने घरों के लिए जा रहे थे तो उन-उन राज्यों की सरकारों ने जातिवादी व हीन भावना के चलते बॉर्डर तक छोड़ दिया. इतने ख़राब हालात में भी सरकारों ने उन्हें नहीं रोका. इतना ही नहीं, उनके रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश भी नहीं की गई, जिसकी वजह से इन लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा. यह बात किसी से छिपी नहीं है. ये लोग जब पैदल ही निकले तो राज्य सरकारों को कोरोना फैलने की चिंता सताई. इसके बाद मजबूरी में सरकारों को ट्रकों व बसों से उनके स्थानों तक भेजवाना पड़ा.

इन वर्गों को सरकार की मास्टर चाभी अपने पास रखने की जरूरत
मायावती ने यदि इन लोगों ने स्वाभिमान के साथ खुद अपने पैरों पर खड़े होने के लिए बाबा साहेब की बात मानी होती और लोग अगर जातिवादी और पूंजीवादी लोगों के बहकावे में नहीं आए होते तो आज हमें पूरे देश में फैली महामारी के दौरान इनकी ऐसी ख़राब व दयनीय स्थिति नहीं होती. उन्‍होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान के लागू होने के बाद अपने इन वर्गों के लोगों को स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह काफी कड़े संघर्ष व अथक प्रयासों से अपने इन वर्गों के लोगों को जिंदगी के हर पहलु में आगे बढ़ने व अपने पैरों पर खड़े होने के लिए संविधान में कानूनी अधिकार तो दिला दिए हैं, जिसमें वोट देने का खास अधिकार शामिल है. लेकिन, इसका पूरा लाभ लेने के लिए इन वर्गों को संगठित होकर व अपना अलग राजनीतिक प्लेटफ़ॉर्म बनाकर केंद्र व राज्यों की मास्टर चाभी खुद अपने हाथों में ही लेनी होगी.

आम आदमी पार्टी पर भी साधा निशाना
मायावती ने कहा कि अगर इन वर्गों की सरकार सत्ता में नहीं होगी तो इनकी दुर्दशा ऐसे ही बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला. जहां आम आदमी पार्टी ने इन्हें प्रलोभन देकर वोट तो लिया लेकिन लॉकडाउन के दौरान पलायन करने से भी नहीं रोका, बल्कि बसों से बॉर्डर तक छोड़ आए.
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