आजमगढ़ की जनता के दर्द से अनजान हैं सांसद अखिलेश और 10 विधायक, लॉकडाउन में भी नहीं पूछ रहे जनता का हालचाल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़. एक पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी का पूर्व सीएम जिले का सांसद होगा तो शहर से गांव तक का कायाकल्प हो जाएगा। इसी उम्मीद के साथ इस जिले के लोगों ने जाति, धर्म, पार्टी से उपर उठकर लोकसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव को 2.50 लाख से अधिक मतों से जीत दिलाई लेकिन काम बोलता है नारा देने वाले अखिलेश चुनाव जीतते ही लोगों को बेकाम कर दिये। वे 11 महीने के कार्यकाल में अपनी निधि भी नहीं खर्च पाए। यहीं नहीं आज आजमगढ़ में अगर कही कोरोना का संक्रमण है तो अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र में। वह भी उस जगह जहां उन्हें सबसे अधिक वोट मिले लेकिन अखिलेश यादव ने उनके जख्म पर भी मरहम लगाने की कोशिश नहीं की। आमतौर पर बात-बात पर सरकार के खिलाफ ट्वीट करने वाले अखिलेश ने संक्रमण से जूझ रही अपनी क्षेत्र की जनता के लिए एक ट्वीट भी करना मुनासिब नहीं समझा। बस निधि से मेडिकल कालेज के लिए एक करोड़ रुपए जारी किया और खुद को जिम्मेदारी से मुक्त मान लिया। यहीं नहीं निधि से धन देने की बात छोड़ दे तो क्षेत्रीय विधायक और अन्य सांसद भी जनता का आंसू पोछने के लिए आगे नहीं आए।
आजमगढ़ में दो सांसद, दस विधायक :- आजमगढ़ में दो सांसद, दस विधायक है। आजमगढ़ संसदीय सीट से जनता ने अखिलेश यादव व लालगंज से बसपा की संगीता आजाद का चुना है। वहीं विधानसभा में पांच सीट सपा, चार सीट बसपा और एक सीट भाजपा के पास है। अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सिर्फ दो बार आजमगढ़ आए। चुनाव जीतने के बाद अखिलेश 3 जून 2019 को आजमगढ़ जनता का अभिवादन करने आये। इस दौरान वे 24 घंटे जिले में रहे लेकिन सिर्फ अपने नेताओं के बीच रहे। इसके बाद इसके बाद वे 29 जनवरी 2020 को अपनी पार्टी के पूर्व सांसद रामकृष्ण यादव के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने उनके घर आंधीपुर आये। इस दौरान अखिलेश वहां 35 मिनट रूके। इसके अलावा अखिलेश यादव कभी न तो आजमगढ़ आए और ना ही संसद में आजमगढ़ के विकास को लेकर कोई आवाज उठायी। कांग्रेसियों ने उनके लापता का पोस्टर भी लगाया लेकिन अखिलेश ने प्रतिक्रिया तक नहीं दी।
धन का उपयोग हो रहा है या नहीं, कोई पूछताछ नहीं :- बसपा सांसद संगीता आजाद भी जनता के बीच दिखाई नहीं देती। उन्होंने अपना आवास लखनऊ बनाया है। रहा सवाल विधायकों का तो चाहे सत्ता पक्ष के हो या विपक्ष के सभी जनता से दूर हैं। विपक्षी सरकार न होने का रोना रो रहे है और सत्ता पक्ष के विधायक को जिम से फुर्सत नहीं है। इस समय कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है। अन्य जिलों के प्रतिनिधि कम से कम जनता को ढ़ाढ़स बंधा रहे है लेकिन आजमगढ़ के प्रतिनिधि गायब है। संक्रमण शुरू होने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी निधि से एक करोड़ रुपया मेडिकल कालेज को जरूरी संसाधन के लिए दिया। इसके अलावा बसपा सांसद संगीता आजाद ने 50 लाख, उनके पति लालगंज बसपा विधायक अरिमर्दन आजाद ने 25 लाख, बसपा सगड़ी विधायक वंदना सिंह ने 15 लाख, सपा विधायक पूर्व मंत्री विधायक दुर्गा प्रसाद यादव ने 25 लाख, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने 20 लाख, भाजपा विधायक अरूण कांत यादव ने 15 लाख रुपए अपनी निधि से स्वास्थ्य विभाग को दिया लेकिन इनमें से किसी ने आज तक यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि उनके द्वारा दिये गए धन का उपयोग हो रहा है या नहीं।
प्रतिनिधियों का सत्तर प्रतिशत से अधिक धन डम्प :- प्रतिनिधियों का सत्तर प्रतिशत से अधिक धन डम्प पड़ा है। स्वास्थ्य विभाग अब तक केवल 54 लाख का ही इस्टीमेट जिला प्रशासन को दे पाया है। इससे सांसद अखिलेश यादव की निधि का 32 लाख राजकीय मेडिकल कालेज को और सांसद संगीता आजाद की निधि का 22.22 लाख जिला अस्पताल के लिए अवमुक्त हो पाया है। अन्य जनप्रतिनिधियों के धन से फूटी कौड़ी खर्च नहीं की गयी है। अखिलेश से लगायत कोई भी सांसद और विधायक अब तक अपनी निधि भी खर्च नहीं कर पाया है।
अखिलेश यादव का 11 महीने का कार्यकाल पूरा :- खास बात है कि आजमगढ़ का मुबारकपुर अखिलेश यादव के संसदीय क्षेेत्र में आता है। अब तक यहीं सात संक्रमित पाए गए है लेकिन अखिलेश यादव ने इनके लिए एक ट्वीट तक करना जरूरी नहीं समझा है। जिले में विधायकों का लगभग तीन साल पूरा हो चुका है। सांसद भी कार्यकाल का 11 महीने पूरा कर चुके है लेकिन इन्होंने कोई ऐसा उल्लेखनीय कार्य नहीं किया जिसे जनता याद कर सके।
उम्मीद पर खरे नहीं उतरे :- मतदाताओं की बात करें तो प्रमोेद सिंह, राम अवतार गुप्ता, संदीप सिंह, राम चंदर राम, अमरेंद्र सिंह, प्रभात सिंह, सतीष विश्वकर्मा आदि का कहना है कि बाकि जन-प्रतिनिधियोें से हमें खास उम्मीद नहीं थी लेकिन अखिलेश यादव को इस उम्मीद के साथ जिताया गया कि वे कम से कम वाराणसी से लालगंज वाया आजमगढ़ होते हुए गोरखपुर तक रेलवे लाइन की मांग संसद ने जरूर उठाएंगे। वहीं लालगंज सांसद व उनके विधायक पति से उम्मीद थी शिकवे लोेग कम से कम लालगंज में बस अड्डा बनाने के लिए प्रयास जरूर करेंगे लेकिन किसी भी प्रतिनिधि ने जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। सब ने हमें ठगने का काम किया है। आज जब संक्रमण के समय जिलेे का हर आदमी कम से कम संवेदना के दोे शब्द सुनना चाहता है तब भी ये लोग गायब है।