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रैपिड एंटीबाडी टेस्ट किट की गुणवत्ता जांचे बिना प्रयोग में लाना जनता के साथ धोखा - अखिलेश यादव

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चीन से आयात किये गए कोरोना वायरस रैपिड एंटीबाडी टेस्ट किट को बिना गुणवत्ता जांच किए प्रयोग में लाने को जनता के साथ धोखा बताया है। उन्होंने इसे सरकार की बड़ी लापरवाही बताया और स्पष्टीकरण मांगा है।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि 'चीन से आयातित रैपिड टेस्ट किट को बिना गुणवत्ता की जांच किए प्रयोग में लाना जनता के साथ धोखा है। अब टेस्ट स्थगित करने वाली आईसीएमआर को इस विषय पर पहले ही चेतावनी देनी चाहिए थी। इतनी बड़ी लापरवाही पर सरकार तुरंत स्पष्टीकरण देकर बताए कि पहले जो जांच हुई हैं, उनके परिणाम कितने सटीक थे।



रोका गया है कोरोना का रैपिड एंटीबाडी टेस्ट
बता दें कि कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बने क्षेत्रों में लोगों की स्क्रीनिंग करने के लिए किए जा रहे रैपिड एंटीबाडी टेस्ट पर रोक लगा दी गई है। रैपिड टेस्टिंग किट में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के निर्देश पर इसकी जांच दो दिनों के लिए रोक दी गई है। रैपिड टेस्टिंग किट से नमूनों की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठने के बाद इसे रोका गया है। रैपिड एंटीबाडी टेस्ट नोएडा में बने हाट स्पाट में 100 संदिग्ध लोगों का किया गया था और सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी, वहीं राजस्थान के कोटा से यूपी लौटे इंजीनियरिंग व मेडिकल की तैयारी कर रहे करीब साढ़े सात हजार विद्यार्थियों की भी स्क्रीनिंग इसी से की जा रही है। अभी तक जितने भी हुए टेस्ट में ज्यादातर की रिपोर्ट निगेटिव आई है। सिर्फ गाजीपुर में एक विद्यार्थी की रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। जब इसे पुख्ता करने के लिए दोबारा पेरिमिरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) टेस्ट हुआ तो रिपोर्ट निगेटिव आई।

अखिलेश ने कहा- सार्वजनिक वितरण प्रणाली हुई फेल
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते लोगों की जिंदगी ठहर गई है। प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) भी कामयाब नहीं है। इस प्रदेशव्यापी गड़बड़झाले का संज्ञान लेकर सरकार को इसे रोकना चाहिए। सरकार किस बात का इंतजार कर रही है? भूख से व्याकुल गरीबों और जरूरतमंदों की जिंदगी का यह सवाल है। अखिलेश ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि मेरठ में 17 अप्रैल को राशन के चावल में ईंट-पत्थर व मिट्टी निकली। मेरठ में 929 सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों की तरह ही प्रदेश की यही स्थिति है। भ्रष्टाचार का यह तरीका जिसमें चावल निकाल कर ईंट, पत्थर और मिट्टी मिला दी गई। यह शर्मनाक एवं घोर निंदनीय कृत्य है।

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