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ग्राम रोजगार सेवकों को मिलेगा तीन साल का बकाया मानदेय

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन में आर्थिक तंगी झेल रहे ग्राम रोजगार सेवकों का तीन साल से बकाया मानदेय सीधे उनके खाते में देने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के 37000 ग्राम रोजगार सेवकों का तीन साल से बकाया मानदेय देने संबंधी प्रस्ताव की मंजूरी दे दी है। ग्राम्य विकास विभाग ने ग्राम रोजगार सेवकों को उनका मानदेय देने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।

ग्राम रोजगार सेवकों का वर्ष 2017 से मानदेय बकाया चला आ रहा है। कुछ जिलों में बीच में मानदेय जरूर दिया गया है, लेकिन हर माह इनको मानदेय नहीं मिल पा रहा है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के समक्ष यह मामला रखा गया था। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से लॉकडाउन में आर्थिक तंगी झेल रहे ग्राम रोजगार सेवकों को बकाया मानदेय देने का निर्देश दिया।

ग्राम्य विकास विभाग ने मानदेय के लिए जरूरी बजट 235 करोड़ रुपये की व्यवस्था कर ली है। केंद्र सरकार से बकाया मानदेय सीधे खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए साफ्टवेयर तैयार कराने का अनुरोध किया गया है। माह के अंत तक यह साफ्टवेयर तैयार होने की संभावना है और मई माह के पहले हफ्ते में यह पैसा ट्रांसफर होने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री बटन दबा कर ऑनलाइन पैसा सीधे खाते में ट्रांसफर कर सकते हैं।

चयन का मकसद
मनरेगा योजना में होने वाले कामों की देखरेख के लिए ग्राम रोजगार सेवकों की नियुक्तियां की गईं। प्रशासनिक सहायक के रूप में यह काम करते हैं। शुरुआती दौर में 2000 रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता था। मौजूदा समय बढ़ते-बढ़ते अब 6000 रुपये प्रति माह मानदेय हो गया है। ग्राम रोजगार सेवक का चयन तीन चरणों में हुआ। सबसे पहले वर्ष 2006 में प्रदेश के 16 जिलों के लिए हुआ। वर्ष 2007 में भी इतने जिलों के लिए। वर्ष 2008 में शेष सभी जिलों के लिए हुआ। प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक रोजगार सेवक रखे गए हैं।

मौजूदा समय इनकी संख्या 37000 के आसपास है। शुरुआती दौर में मनरेगा का काम पंचायती राज विभाग देखता था। इसलिए इन्हें पंचायत मित्र नाम दिया गया। वर्ष 2008 में मनरेगा योजना को ग्राम्य विकास विभाग के अधीन कर दिया गया। इसके बाद शेष जिलों में ग्राम रोजगार सेवक की तैनाती हुई। इस तरह सभी का पदनाम बदल कर ग्राम रोजगार सेवक कर दिया गया।

ग्राम रोजगार सेवकों का मुख्य काम
इनका मुख्य काम मनरेगा के मजदूरों को काम देने से लेकर भुगतान कराने की प्रक्रिया इनकी देखरेख करना है। जॉब कार्ड बनाना और उसे बांटना उनके कामों का निगरानी करना, मास्टर रोल भरन के साथ भुगतान कराना होगा। इसके अलावा ग्राम पंचायत के सचिव के निर्देशों पर अन्य काम भी करते हैं। ग्राम रोजगार सेवक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार मिश्र कहते हैं कि पूरे प्रदेश में औसतन 20 से 22 माह का मनदेय बकाया है। मानदेय प्रशासनिक मद से मिलता है। मनरेगा में मात्र में छह प्रतिशत ही प्रशासनिक मद यानी कंटीजेंसी मद है। इसमें चार प्रतिशत ग्राम रोजगार सेवाकों के मानदेय, एक प्रतिशत विकास खंड पर विभिन्न मदों पर खर्च किया जाता है। आधा प्रतिशत जिले और आधा प्रतिशत प्रदेश स्तर पर खर्च किया जाता है।

ग्राम रोजगार सेवकों के बकाया मानदेय देने के लिए बजटीय व्यवस्था कर ली गई है। साफ्टवेयर माह के अंत तक बन जाएगा और इसके बाद ग्राम रोजगार सेवकों के खाते में बकाया मानदेय दे दिया जाएगा। -मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास विभाग
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