पांच दिन में 500 किमी की दूरी तय कर बुजुर्ग को कंधे पर लाद दिल्ली से पहुंचे लखनऊ, IPS भी देकर हैरान
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लॉकडाउन में काम-काज बंद होने से लोग घर वापसी कर रहे हैं। इनमें शामिल श्रावस्ती के 80 वर्षीय सालिगराम को गांव के लोग कंधे पर लेकर निकले और पांच दिनों में करीब 500 किमी की दूरी तय कर शनिवार को लखनऊ पहुंचे। यहां पुलिस इनकी मददगार बनी। दोपहर शहीद पथ पर समिट बिल्डिंग के सामने आईपीएस नवनीत सिकेरा इन्हें फल खिला रहे थे तो विभूतिखंड इंस्पेक्टर श्याम बाबू शुक्ला ने खाने का इंतजाम किया।
यह स्नेह देख गड्ढे में धंस चुकीं बुजुर्ग की आंखें नम हो उठीं। इसके बाद पुलिस ने सभी 67 लोगों को बस से घर भेजवाया। दोपहर एक बजे आईपीएस नवनीत सिकेरा ऑफिस से शहीद पथ होते हुए घर जा रहे थे। उन्होंने समिट बिल्डिंग के पास कुछ लोगों को पैदल जाते देखा तो नजरें ठिठक गईं। चार लोग बल्लियों में बंधे कपडे़ में बैठे बुजुर्ग को कंधे पर उठाए चल रहे थे। इस पर नवनीत कार से उतरे और बुजुर्ग को ले जा रहे लोगों से बात की।
बकौल सिकेरा, बुजुर्ग का नाम सालिगराम है और वह श्रावस्ती के इकौना बाजार के रहने वाले हैं। उनके साथ गांव के युवक, महिलाएं और बच्चे मिलाकर 67 लोग थे। सभी एक ही गांव के हैं और कई सालों से दिल्ली में मेहनत-मजदूरी कर रहे थे। लॉकडाउन के चलते पांच दिन पहले सभी को दिल्ली छोड़ना पड़ा। वाहन नहीं था तो पैदल ही घर चल दिए। रास्ते में कोई सवारी मिलती तो बचे रुपये देकर अगले गंतव्य तक बैठ जाते।
एक ट्रकवाला सबको एक्सप्रेस-वे तक छोड़ गया। वहां से सभी फिर पैदल चल दिए। सालिगराम के शरीर के निचले हिस्से में लकवा हो गया था, इसलिए वह चल नहीं सकते। गांव के जगराम, सुरेश कुमार, मुन्ना, रामू व अन्य ने दो बल्लियों के बीच चादर बांधकर झूला बनाया और उन्हें बैठा दिया। इसके बाद बल्लियों को बारी-बारी से कंधे पर लेकर आगे बढ़ते रहे।
नवनीत सिकेरा ने बताया कि ग्रामीणों की मदद को विभूतिखंड इंस्पेक्टर को बुलाया। उनके आने तक कार में रखे फल सालिगराम व उन्हें कंधे पर लादकर ले जा रहे युवकों को खिलाए। विभूतिखंड इंस्पेक्टर के पहुंचने पर सबके लिए खाने का इंतजाम कराया। इसी दौरान उधर से गुजर रहे आईपीएस व एडीजी डायल 112 असीम अरुण भी भीड़ देखकर आ गए।
सूचना पाकर कुछ सामाजिक कार्यकर्ता एकत्र हो गए और पेड़ की छांव में ग्रामीणों के आराम की व्यवस्थाएं कीं। पुलिस ने तत्काल पूड़ी-सब्जी बनवाकर भोजन कराया। ग्रामीणों को श्रावस्ती भेजवाने के लिए आईपीएस अफसरों ने रोडवेज बस के एमडी राजशेखर से फोन पर बात की। इस पर उन्होंने बस मौके पर भेजवाई और शाम चार बजे सभी श्रावस्ती रवाना हो गए।