सपा शासनकाल में जल निगम में जेई और लिपिक पद पर हुई भर्तियां योगी सरकार ने की रद्द
गाजीपुर न्यूज़ टीम, उत्तर प्रदेश सपा शासनकाल में जल निगम में अवर अभियंता (जेई) के 853 और लिपिक के 335 पदों पर हुई भर्तियां निरस्त कर दी गई हैं। सहायक अभियंता के 117 पदों पर हुई भर्ती पहले ही निरस्त कर दी गई थी। एसआईटी की जांच में भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह दोषपूर्ण पाए जाने के बाद जल निगम ने पूर्व में जारी नियुक्ति आदेशों को निरस्त करते हुए भर्तियों को नियुक्ति तिथि से ही शून्य घोषित कर दिया गया है। यह आदेश मुख्य अभियंता आईके श्रीवास्तव की तरफ से जारी किया गया है।
आदेश में कहा गया है कि अवर अभियंताओं व लिपिकों को अब तक प्राप्त हुए वेतन भत्ते आदि का संरक्षण प्राप्त रहेगा और उनसे इसकी कोई वसूली नहीं की जाएगी। विभागीय दायित्वों के निर्वहन में उनके द्वारा अब तक नियमानुसार किए गए प्रशासनिक एवं वित्तीय कृत्य विधिमान्य होंगे। मुख्य अभियंता ने अपने आदेश में कहा है कि इस दोषपूर्ण परीक्षा में दागी और बेदाग अभ्यर्थियों को अलग-अगल करना संभव नहीं है। यह परीक्षा इस सीमा तक दोषपूर्ण है कि परीक्षा के परिणाम में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं किया जा सकता और यह निरस्त किए जाने योग्य है। इस विधि-शून्य परीक्षा के आधार पर जो अभ्यर्थी नियुक्ति पाए हैं उनको व्यक्तिगत रूप से कारण बताओ नोटिस देने का औचित्य भी नहीं रह जाता है।
मुख्य अभियंता ने अवर अभियंता परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की विभाग की वेबसाइट पर अपलोड सूची तथा पहली जनवरी 2017 और दो जनवरी 2017 को जारी नियुक्ति आदेशों को निरस्त कर दिया है। साथ ही इन नियुक्तियों को नियुक्ति तिथि से ही शून्य घोषित कर दिया है। अवर अभियंता (सिविल/विद्युत यांत्रिक) के इन पदों पर भर्ती का विज्ञापन 28 अक्टूबर 2016 को जारी किया गया था। आनलाइन आवेदन करने वाले कुल 61452 अभ्यर्थियों में से 853 को सफल घोषित किया गया था। जांच में पता चला कि सेवा प्रदाता कंपनी मेसर्स एपटेक लिमिटेड ने बड़े पैमाने पर धांधली की।
मुख्य अभियंता ने नैत्यिक लिपिकों के 335 पदों पर हुई नियुक्तियों को भी निरस्त कर दिया है। इन पदों पर भर्ती का विज्ञापन 18 जून 2016 को जारी किया गया था।
जल निगम भर्ती में घोटाले की पुष्टि होने से पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। इस मामले में एसआईटी की तरफ से दर्ज कराए गए मुकदमे में आजम खां भी आरोपी हैं। एसआईटी अब उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर कर देगी।
एसआईटी ने 25 अप्रैल 2018 को शासन के निर्देश पर मुकदमा दर्ज किया था। इसमें आजम के अलावा तत्कालीन नगर विकास सचिव एसपी सिंह, जल निगम के पूर्व एमडी पीके आसुदानी व जल निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल खरे को नामजद करते हुए परीक्षा कराने वाली संस्था मेसर्स एपटेक लिमिटेड के अज्ञात अधिकारियों को अभियुक्त बनाया गया था। एसआईटी ने अपनी जांच पूरी करके शासन को सौंप दी थी। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर ही नगर विकास विभाग ने जल निगम को भर्तियां निरस्त करने का निर्देश दिया था।