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पूर्वांचल में माओवाद की बुनियाद मजबूत कर रहा बच्चा प्रसाद गिरफ्तार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की वाराणसी इकाई ने शुक्रवार को वाराणसी से बिहार निवासी एक माओवादी नेता बच्चा प्रसाद को हिरासत में लिया। हिरासत में लिए गए व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है। बताया जा रहा है कि वह बिहार, तेलंगाना और हैदराबाद की जेल में बंद रहा है। बिहार के मुजफ्फरपुर के एक प्रकरण में वांछित होने के कारण बिहार पुलिस ने एटीएस से उसकी गिरफ्तारी के संबंध में मदद मांगी थी। एटीएस के अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ कर प्रकरण का जल्द ही खुलासा किया जाएगा।

भाकपा (माओवादी) पोलित ब्यूरो सदस्य बच्चा प्रसाद ने पूर्वांचल में अपने संगठन की बुनियाद तैयार करने के लिए बनारस में ठिकाना बनाया था। इसके मद्देनजर बिहार और झारखंड से बच्चा के पास लोगों की आवाजाही लगी रहती थी।

पड़ोसियों के पूछने पर वह उन्हें अपना रिश्तेदार बताता था। बच्चा मिर्जापुर, सोनभद्र और चंदौली के नक्सल प्रभावित इलाकों के कुछ लोगों के संपर्क में भी था। बच्चा के पास से बरामद मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में बच्चा से जुड़े कुछ अन्य लोग भी गिरफ्तार किए जाएंगे।

बिहार निवासी बच्चा लगभग डेढ़ साल से छित्तूपुर में किराये पर कमरा लेकर पत्नी हीरामणि उर्फ आशा के साथ रह रहा था। बच्चा की बेटी बीएचयू में पढ़ती थी, इस वजह से उसे किराये पर कमरा लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई। सरल और मिलनसार स्वभाव के बच्चा की गतिविधियां कभी इस तरह की नहीं दिखीं कि उस पर आसपास रहने वालों को शक हो।

बच्चा की बेटी मौजूदा समय में नई दिल्ली में रह कर परास्नातक की पढ़ाई कर रही है और बेटा पटना में स्नातक की पढ़ाई कर रहा है। बच्चा की पत्नी हीरामणि को उसके साथ मुजफ्फरपुर जिले की पुलिस ने वर्ष 2014 में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बच्चा प्रसाद 2008-09 में भाकपा (माओवादी) की उत्तर प्रदेश की स्टेट आर्गनाइजिंग कमेटी का प्रभारी था।

2010 में बच्चा को कानपुर से उसके आठ साथियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2016 में बच्चा जमानत पर बाहर आया। वर्ष 2018 में बिहार पुलिस ने एक नक्सली घटना के संबंध में बच्चा को गिरफ्तार किया। जमानत मिली तो वह भूमिगत हो गया और ठिकाने बदलते हुए पत्नी के साथ बीएचयू में पढ़ने वाली बेटी के पास चला आया।

भाकपा (एम) के 13 महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक
एटीएस के अधिकारियों के अनुसार, भाकपा (माओवादी) के पोलित ब्यूरो के देश भर में 13 सदस्य हैं, उनमें से एक बच्चा है। बच्चा की मुख्य जिम्मेदारी नक्सली साहित्य तैयार करने के साथ ही संगठन से नवयुवकों को जोड़ने की थी।

इसके साथ ही नक्सली गतिविधियों को अंजाम देने के लिए विस्फोटक सामग्री कहां से आसानी से मिलेगी और किस मार्ग से आना-जाना ठीक रहेगा, संगठन के लोगों को यह बताना भी बच्चा की ही जिम्मेदारी थी। बच्चा अपने संगठन के चुनिंदा लोगों से पत्राचार के माध्यम से संदेशों का आदान-प्रदान करता था और बिहार व झारखंड में आयोजित गुप्त बैठकों में शामिल होता था।

होता किरायेदारों का सत्यापन तो सच्चाई आ जाती सामने
प्रत्येक थाने की पुलिस की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने क्षेत्र में रहने वाले किरायेदारों का सत्यापन करे। हालांकि पुलिस ऐसा कभी करती नहीं है। इस वजह से कोई कहीं भी आसानी से फर्जी आईडी के आधार पर किराये पर कमरा लेकर रहने लगता है। मकान मालिक भी इस संबंध में गंभीरता नहीं बरतते हैं और मुंहमांगा किराया मिलने पर किसी को भी कमरा देने को आसानी से तैयार हो जाते हैं।

बच्चा के मामले में स्थानीय अभिसूचना इकाई भी एक बार फिर फिसड्डी साबित हुई और उसे माओवादी के रहने की भनक तक नहीं लगी। इससे पहले भी पुलिस और स्थानीय अभिसूचना इकाई की इस तरह की लापरवाही जिले में उजागर हो चुकी है।

बीते जनवरी महीने में चंदौली से गिरफ्तार आईएसआई एजेंट राशिद ने लंका थाना के छित्तूपुर क्षेत्र के पते के सहारे पुलिस और एलआईयू के कर्मचारियों की मिलीभगत से अपना पासपोर्ट बनवाया था। इसके बाद अफगानिस्तान निवासी एक युवक आजमगढ़ के फर्जी पते के सहारे भेलूपुर स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट केंद्र से अपना पासपोर्ट बनवाने में सफल रहा था।

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