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सोनभद्र से बरेली वाया वाराणसी तो कोई गोरखपुर जा रहा, सिलेंडर लदी गाड़ी पर भी दिखे युवा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी, कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन से सैकड़ों कामगारों और छात्रों के सामने अजीब संकट पैदा हो गया है। दूसरे शहरों में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने और काम करने पहुंचे लोग रेल-बस बंद होने से दोहरी मार झेल रहे हैं। यह लोग अपने घरों को भी नहीं जा पा रहे हैं।एक तरफ रोजी-रोटी का संकट है तो दूसरी ओर रहने का आसरा भी नहीं है। ऐसे में लोग पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करने को मजबूर हैं। कोई सोनभद्र से ही बरेली के लिए पैदल निकल गया है तो कोई इलाहाबाद से गोरखपुर पैदल ही जा रहा है। रविवार की सुबह वाराणसी से गाजीपुर जाते युवाओं को गैस सिलेंडर वाली गाड़ी दिखी तो उसी पर चढ़ गए। जिसे जो साधन मिल रहा है, किसी तरह कुछ दूरी तय करना चाह रहा है। 



शनिवार देर रात गाड़ियों से खाना बांट रहे समाजसेवी अमन को कई लोग जौनपुर से पैदल ही झारखंड जाते दिखाई दिये। इन लोगों को मुगलसराय तक छोड़ने निकले तो राजघाट पुल पर 15 लोगों का झुंड भी झारखंड जाने के लिए खड़े दिखाई दिये। उन्हें किसी गाड़ी वाले ने झारखंड पहुंचाने का आश्वासन दिया था। वह लोग गाड़ी का ही इंतजार कर रहे थे। बार-बार आग्रह करने पर जौनपुर से आए लोगों को भी अपने साथ ले जाने को तैयार हुए।


ऐसे ही बरेली के मूल निवासी पांच युवक चौकाघाट पुल के पास पैदल ही जाते दिखे। भूख-प्यास से व्याकुल इन युवकों के के लिए अब घर पहुंचना सबसे अहम है। बताया कि न जेब में पैसे हैं, न खाने की व्यवस्था है। घर पहुंचेंगे तो दो वक़्त की रोटी मिल जाएगी। बरेली निवासी सत्येंद्र, सर्वेश, भोले, बृजेश और प्रदीप सोनभद्र में  हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के एक पेट्रोल पंप पर काम करते हैं। लॉक डाउन के कारण पंप मालिक ने उन्हें काम पर बुलाना बंद कर दिया। पांचों युवक किराये के एक कमरे में एक साथ रहते थे। तीन दिन में उनका राशन खत्म हो गया। पैसे भी खत्म होने पर भुखमरी आन पड़ी तो पांचों युवक पैदल ही अपने घर को निकल पड़े। रास्ते में किसी ने लिफ्ट दे दी। बनारस से कुछ दूरी पहले तक। वहां से फिर पदयात्रा शुरू हुई। कहा, दो-तीन दिन में पहुंच ही जाएंगे, यहां रहे तो भूखे मर जाएंगे। वाराणसी हाइवे पर बड़ी संख्या में युवा प्रयागराज से बिहार के जिलों में दिखाई दे रहे हैं।

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