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कोरोना का खौफ: पत्नी की अंतिम विदाई पर आए लोगों को पति ने लौटाया

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आगरा देवकी नंदन त्यागी के जज्बे को सलाम। समाज हित में लिए गए इनके फैसले से उन लोगों को सीख लेनी चाहिए जो बेमतलब घर से निकलकर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। पत्नी ममता की मौत पर अंतिम विदाई और शवयात्रा में जाने के लिए जुटे लोगों को उन्होंने हाथ जोड़कर लौटा दिया। खुद पर टूटे वज्रपात के बावजूद उन्होंने लोगों को पीएम की भीड़ ना जुटाने और कोरोना से बचने की नसीहत याद दिलाई। मात्र 10 लोगों के साथ ही शवयात्रा निकाली।

आगरा के न्यू विजय नगर कॉलोनी के नगला धनी क्षेत्र निवासी देवकीनंदन त्यागी की पत्नी ममता की लंबी बीमारी से बुधवार सुबह मौत हो गई। दस बजे शव को अस्पताल से घर लाया गया। शुभचिंतकों और नाते-रिश्तेदारों की भीड़ जुट गई। वहीं, लॉकडाउन और भीड़ न जुटने के सरकार के आदेशों के चलते असमंजस की स्थिति हो गई। बड़ी संख्या में जुटे लोगों के भावावेश में कोई फैसला नहीं ले पा रहे थे। वहीं दूसरी ओर परिवार के लोग बिलख रहे थे। क्या किया जाए क्या नहीं इसे लेकर चर्चा होने लगी। सभी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए अड़े थे। देवकी के घर के बाहर जमावड़ा लगा था।

वहीं घर के भीतर रखे शव के पास विलाप कर रहे देवकी को जब ये मालूम हुआ तो वे बाहर आए। उन्होंने मौके पर जुटे लोगों से साफ कहा कि ममता को तो अब वापस नहीं लाया जा सकता है। लेकिन अगर थोड़ी भी असावधानी बरती गई तो समाज के अन्य लोग परेशानी में आ सकते हैं। उन्होंने तत्काल मौके पर आए लोगों से निवेदन किया कि वे सबकी भावनाओं को समझते हैं पर इस समय अच्छा यही होगा कि लोगों की जिंदगी मुसीबत में न डाली जाए। उन्होंने लोगों से कहा कि वे सभी लोगों की संवेदनाओं को समझते हैं पर समाज हित में सिर्फ दस लोग ही अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए ताजगंज स्थित श्मशान घाट चलें। इसके बाद उन्होंने सभी से घर जाने की अपील की। पत्नीशोक के बावजूद उनके इस निर्णय की सभी ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

काश! मां मुझे वकील बना देख पाती
देवकी के तीन बच्चे हैं। दो बेटे एक बेटी। उनकी पत्नी ममता की जिद थी कि बेटी अंजलि अच्छे कॉलेज से लॉ करे और वकील बने। खानदान में पहली बार लीक से हटकर ये निर्णय लिया गया था। देवकी ने पत्नी की जिद को माना। वहीं बेटी भी मां की इच्छा पूरी करने के लिए तैयार थी। बेंगलुरू स्थित एक कॉलेज में दाखिला भी मिल गया। बीस मार्च को अंजलि आगरा लौटी थी। वो रो- रोकर एक ही बात कह रही थी कि काश, मां मुझे वकील बना देख पाती।

लॉकडाउन के चलते बेटा नहीं आ पाया
देवकी का बड़ा बेटा दीपक लॉकडाउन के चलते नहीं आ पाया। वो मर्चेंट नेवी में तैनात है। नियुक्ति इन दिनों दुबई में है। बंदिशों के चलते दीपक वहां से नहीं निकल पाया। वीडियो कॉल के जरिए उसे मां के अंतिम दर्शन कराए गए। इस दृश्य को देखकर मौके पर मौजूद हर आंख नम हो गई। लोगों ने जैसे- तैसे खुद के साथ शोकाकुल परिजनों को ढांढस बंधाया। लोगों का कहना था कि देवकी के जैसे फैसले मौजूदा दौर में समाज के लिए नजीर बनते हैं।
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