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गाजीपुर से सैकड़ों लोगों को बसों से घरों को भेजा गया

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर कोरोना के संक्रमण से बचने और उसके खिलाफ जंग में लोगों का धैर्य और प्रयास की कठिन परीक्षा होने लगी है. शहर में काम बंद होने के बाद गाजीपुर जिले के हजारों युवा जिले की ओर कूच कर गए हैं तो 5000 से ज्यादा लोग जिले में अपने अपनों के घर पहुंच गए हैं. वहीं दूसरी ओर अभी हजारों लोग गैर जनपदों और कई राज्यों में फंसे हैं और गाजीपुर आने को परेशान हैं। इनमें से सैकड़ों लोगों ने जिला प्रशासन से भी संपर्क किया है और उन्हें अपना नाम पता एड्रेस नोट कराते हुए गाजीपुर बुलाने की गुहार लगाई हैl गाजीपुर से सैकड़ों लोगों को लंका बस स्टैंड से बसों से घरों को भेजा गया।

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए लाख डाउन का सबसे बड़ा असर कामगारों पर हुआ हैl लॉकडाउन के बाद जो सबसे बड़ी समस्या उभरकर सामने आई वो है शहरों से गांवों की ओर लोगों का पलायन। दिहाड़ी मजदूर इतनी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर पैदल ही गाजीपुर में अपने घरों की ओर निकल पड़ेंगे ये किसी ने नहीं सोचा था।दिल्ली, मुंबई, झारखंड, रांची, गुजरात गुड़गांव , चंडीगढ़, लखनऊ समेत कई शहरों और राज्यों से सैकड़ों लोग रविवार शाम तक अपने घर अपने गांव यानी गाजीपुर पहुंचेl वही अभी हजारों लोग गैर जनपदों में फंसे हैं जिनकी अपनों को अपने लाडलो के घर आने का इंतजार हैl कुछ मजदूर कई दिन पैदल चलने के बाद जब अपने गांव पहुंच रहे हैं तो वहां भी उनके लिए मुसीबत खड़ी हो रही है। कई गांवों के लोग नहीं चाहते हैं कि बाहरी लोगों का प्रवेश गांव में हो। 

भले ही वह गांव का रहने वाला हो और बाहर से आ रहा हो। कोरोना का दहशत इस कदर अब हाबी हो चुका है कि लोगों ने गांव के बाहर मौखिक रूप से नो-एंट्री है। इतना ही नहीं अब रिश्तेदारों को भी फोन कर बताया दिया गया है कि घर पर न आवें। हालत यह है कि गांव को जाने वाली सड़क पर लोगों के जागरूकता की कहानी को बयां करने के लिए काफी है। वहीं दूसरी ओर अपने बेटों के घर पहुंचने पर परिजन भी पशोपेश में हैं। बाहर से लौटे युवकों में कोरोना संक्रमण के डर से उनसे बातचीत और मेल मिलाप में परिवार के सदस्य भी सहज नहीं हो पा रहे हैं हालांकि डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच में इन युवाओं में या कामगारों में करो ना का कोई लक्षण नहीं पाया है लेकिन फिर भी 14 दिन संयमित रहना इनके लिए आवश्यक है चिकित्सकों के अनुसार स्वास्थ्य टीम बीच-बीच में सूचनाओं के आधार पर बाहर से आए लोगों का मेडिकल परीक्षण करती रहेगी। 

जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य व पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश सिंह की ओर लंका मैदान में दूसरे राज्यों से बसों के माध्यम से आए लोगों का स्वयं की देख-रेख में चेकअप कराया गया। वहीं जो भूखे-प्यासे थे। उनके खाने-पीने की व्यवस्था कराई गई। इस दौरान इनमें से कुछ अन्य जिलों से भी हैं, जिनके लिए जिलाधिकारी ने साधन की व्यवस्था उपलब्ध कराया। लॉक डाउन के पॉचवां दिन है। ऐसे में अगर सबसे ज्यादा दिक्कत है, तो दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष। कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के उद्देश्य से देश में हाई अलर्ट जारी है। प्रधानमंत्री की अपील पर पूरे देश में 21 दिन के लिए लॉक डाउन किया गया है। लॉक डाउन का मतलब व्यक्ति अपने-अपने घरों में ही रहें, जो जहां है, वहीं रहेगा। किसी को कहीं भी आने-जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

इससे कोरोना वायरस (कोविड -19) की बढ़ती समस्या से निपटा जा सके। लॉक डाउन की स्थिति में उन लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या ना हो, जो रोज कमाते हैं, और खाते हैं। इसके लिए भी शासन की ओर से पूरी व्यवस्था कर ली गई है कि कोई भी गरीब, मजदूर भूखा ना रहे। रविवार को जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य, मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रकाश गुप्ता, उप जिलाधिकारी सदर प्रभाष कुमार ने सदर विकास खण्ड के ग्राम चक खाजगी में 10 परिवारों को व ग्राम अगस्ता में 19 गरीब परिवारों नि:शुल्क 15 दिनों का खाद्य सामग्री उपलब्ध कराया। जिलाधिकारी ओम प्रकाश आर्य ने कहा कि जनपद में कोई भी गरीब मजदूर भूखा ना रहे, इसके लिए प्रतिदिन खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है। 

पूरे जनपद में ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया है, जो रोज कमाते हैं रोज खाते हैं, जिनकी संख्या लगभग 5461 है। ऐसे परिवारों को प्रतिदिन राहत सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है। जिलाधिकारी ने लोगों से अपील भी की कि वह एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहें। अपने-अपने घरों में रहे। बाहर ना जायें। आज तहसील सदर क्षेत्र के ग्राम चक खाजगी व ग्राम अगस्ता में जिलाधिकारी ने 15 दिनों की खाद्य सामग्री वितरित किया। इसमें 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, पांच किलो आलू, एक किलों चीनी, एक किलो नमक, दो किलो दाल, 100 ग्राम मसाला, 100 ग्राम हल्दी का वितरण कर घरों में ही रहने की अपील की गई।
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