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गाजीपुर: बाजार में भीड़ खड़ी कर सकती है मुसीबत

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर मुहम्मदाबाद लॉकडाउन के दौरान लोगों की सुविधा के लिए प्रशासन की ओर से सब्जी आदि की खरीदारी के लिए छूट दी गई है। सख्ती के बावजूद बाजार में लगातार लग रही भीड़ मुसीबत खड़ा कर सकती है। एक दूसरे से दूरी का ध्यान नहीं रहा।

आमजन को बाजार व दुकानों तक पहुंचने के बजाए उन तक फुटकर दुकानदारों व ठेला आदि के माध्यम से सामान को पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए। अन्यथा इस लॉकडाउन के उद्देश्य का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। सुबह छह से पूर्वाह्न 11 बजे से सब्जी, खाद्यान्न, फल आदि जरूरत के सामान की खरीदारी के लिए प्रशासन की ओर से दुकानों को खुली रखने के लिए नियत किया गया है। इस दौरान सब्जी मंडी व दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो जा रही है।

जखनियां : लॉकडाउन की शर्तों को पूरा करवाने के साथ ही भुडकुडा  पुलिस द्वारा सुबह से देर रात तक चक्रमण किया जा रहा है। शनिवार को सुबह सब्जी मंडी खुलते ही गांव से लोग बाजारों तक पहुंचकर खरीदारी करनी शुरू कर दिए। इससे सब्जी मंडी सहित किराना की दुकानों पर भीड़ जमा हो गई। पुलिस द्वारा लाख प्रयास के बाद भी भीड़ नियंत्रण नहीं हो रहा था। आपस में दूरी बनाने का पालन नहीं हो रहा था। उपजिलाधिकारी सूरज यादव ने बताया कि जन सुविधा के लिए तहसील में कंट्रोल रूम खोला गया है। जिसे कोई भी जानकारी लेना हो या गांव में कोराना के संदिग्ध मरीज देखने पर उसकी सूचना तत्काल दें।

लॉकडाऊन में भी हो रही भीड़
दुल्लहपुर : कोरोना वायरस से मचे हाहाकार तथा लाकडाऊन के बावजूद भी लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा चेतावनी के बाद भी लोग समझ नहीं पा रहे हैं। बाजार खुलते ही भीड़ आवश्यक सामान को लेने के लिए सारे नियम कानून ताख पर रख दे रही है। पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनकर भीड़ इधर उधर हो जा रही है। पुलिस का वाहन जाने बाद फिर वही पुराना रवैया लोग अपना रहे हैं। सख्ती तथा चेतावनी के बावजूद बाजारों में शारीरिक दूरी का नियम टूट रहा है।

निजी खर्च से जरूरतमंदों को भोजन कराएंगे पूर्व विधायक
मुहम्मदाबाद : कोरोना वायरस जैसी महामारी के इस संकट की घड़ी में गरीबों की मदद के लिए पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी ने कहा कि वह अपने निजी खर्च का इस्तेमाल इन गरीबों के लिए भोजन उपलब्ध कराएंगे। बताया कि वह प्रत्येक वर्ष मक्का मदीना तीर्थ यात्रा पर जाते रहे हैं। इसमें उनका करीब एक लाख रुपये खर्च होता था। इस वर्ष वहां नहीं जा पा रहे हैं तो उस धन से वह गरीब व भूखों को भोजन का प्रबंध कराकर उन तक पहुंचायेंगे। कहा कि इस दुख की घड़ी में सब लोग अपने साम‌र्थ्य के अनुसार अपने अगल बगल के एक दो गरीब परिवारों की मदद का बीड़ा उठा लें तो यह संकट आसानी से टल जाएगा।
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