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गाजीपुर: अवकाश से पूर्व रंगों से सराबोर हुए कालेज व कार्यालय

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर होली के अवकाश से पूर्व शनिवार को स्कूल, कालेज एवं कार्यालय रंगों में सराबोर हो गए। एक ओर जहां विद्यालयों की छ़ुट्टी के बाद छात्र-छात्राओं ने एक दूसरे को रंगों से रंग दिया वहीं सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी।

स्कूलों एवं कालेजों में सुबह से ही बच्चों में पढ़ाई का मूड नहीं दिख रहा था वे एक दूसरे को रंग लगाने की जुगत में लगे हुए थे। किसी तरह पढ़ाई का समय पूरा करने के बाद जब वे परिसर से बाहर निकले तो उन्होंने एक-दूसरों पर रंग लगाना शुरू कर दिा। उनके यूनिफार्म पूरी तरह ेसे रंग में रंग गए। कमोबेश यही माहौल कार्यालयों का रहा । सभी ने एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दी।

और परंपरा का हो गया अंत
मुहम्मदाबाद : जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता जा रहा है बाजार में भीड़ भाड़ बढ़ती जा रही है। वहीं नगर में होली के एक दिन पूर्व निकलने वाली पूर्वाचल में विख्यात भुवाली की होली बारात पूरी तरह से बंद हो जाने से वह इतिहास बन गई। इससे नगर में एक दिन पूर्व ही शुरू हो जाने वाली रंग गुलाल की होली अब नहीं हो पाती। नगर में करीब 150 पूर्व मुहम्मदाबाद नगर के शैव टोला से बारात निकालने की परंपरा शुरू हुई थी। समय के साथ साथ इसमें लोग तरह तरह की स्वांग कलाओं का रंग घोलते हुए इसकी चटक को और बढ़ाते गए। यह बारात हिदू मुस्लिम एकता की प्रतीक बन गई, कारण इसमें चौक के गुरुप्रसाद और भट्ठी मुहल्ले के मद्दी मियां तरह के तरह स्वांग रचकर लोगों का मनोरंजन करते थे। उसके उपरांत छूरेबाज बनने की परंपरा शुरू हुई।


इसमें विश्वनाथ माली, केशव प्रसाद, मुन्नन पांडेय, मोहन गुप्ता आदि छूरेबाज बनने का अभिनय किए। करीब आठ दशक पूर्व होली बारात यूसुफपुर में निकाली जाने लगी। जिसकी अगुवाई गुलेबाग के रहने वाले भुवाली यादव करते थे। बारात में पूर्व सांसद अफजाल अंसारी आगे आगे रंग गुलाल बरसाते चलते थे। हिदू ट एकता की प्रतीक उस बारात में पहले सभी दलों व समाज के लोग भागीदारी करते थे। यहां तक की उसकी अगवानी जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक तक करते थे। समय के साथ साथ बारात ने राजनीतिक चोला पहनना शुरू कर दिया। बरात में एक दल विशेष के लोगों की भागीदारी होने लगी। बरात सिमटते सिमटते इस स्थित में पहुंच गई कि करीब पांच छह वर्ष पूर्व बारात से जुड़े लोगों ने उस पर पूरी तरह से विराम लगा दी जिसके चलते नगर के एक विख्यात परंपरा का अंत हो गया।

चित्रगुप्त वंशीय सभा नहीं मनाया जाएगा होली मिलन समारोह श्री चित्रगुप्त वंशीय सभा ददरीघाट की कार्यकारिणी एवं विशेष आमंत्रित सदस्यों की आपात बैठक में कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए होली मिलन समारोह नहीं माने का निर्णय लिया है। मंत्री अजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आगामी 14 मार्च को संस्था द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह की समस्त तैयारियां पूर्ण हो चुकी है।


परंतु विश्व के अनेक देशों में फैले कोरोना वायरस की महामारी के कारण भारत में भी सतर्कता बरती जा रही है, जिसे ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सावधानी के तौर पर किसी भी सार्वजनिक स्थान या भीड़भाड़ वाले जगह पर जाने से बचने की सलाह दी है। सभी सदस्यों ने चर्चा में भाग लेते हुए अपने विचार रखे  और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस राष्ट्रीय आपदा के समय संस्था को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे समाज के समक्ष संकट उत्पन्न हो। बैठक में शिव शंकर सिन्हा, नीरज श्रीवास्तव, यशोवर्धन श्रीवास्तव, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, अम्बरीष श्रीवास्तव, सुनील दत्त, संदीप वर्मा आदि थे।

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