आजमगढ़ में धोखाधड़ी कर 23 वर्ष तक नौ कर्मचारी वन विभाग में करते रहे नौकरी, रिटायरमेंट पर पकड़ा मामला
गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़ में सिधारी थाने की पुलिस ने वन विभाग में धोखाधड़ी कर 23 वर्ष तक नौकरी कर चुके नौ कर्मचारियों के खिलाफ शनिवार को एफआईआर दर्ज की। प्रभागीय निदेशक वानिकी (डीएफओ) ने सभी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। सभी की वर्ष 1992 में वन विभाग में माली, चौकीदार पद पर नियुक्ति हुई थी। दो सप्ताह बाद ही नियुक्ति को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद भी विभाग को धोखे में रख कर नौकरी कर करते रहे।
वन विभाग में वर्ष 1992 में तत्कालीन प्रभागीय निदेशक ने माली व चौकीदार के पद पर 11 कर्मचारियों की भर्ती की थी। लगभग दो सप्ताह बाद वन संरक्षक एवं क्षेत्रीय निदेशक पूर्वी वृत्त गोरखपुर ने आदेश जारी कर सभी की नियुक्ति को अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद नौ कर्मचारी हाईकोर्ट चले गए और स्थगन आदेश ले आए। स्थगन आदेश के क्रम में फिर उन्हें बहाल कर दिया गया। ये लोग नौकरी भी करने लगे।
बहाली के बाद वर्ष 1998 में रिट को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद भी नौ कर्मचारी विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से नौकरी में बने रहे। इसकी पोल तब खुली जब एक कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने पर 28 मार्च 2018 को पेंशन रोकने के लिए तत्कालीन प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी प्रभाग आजमगढ़ की ओर से मुख्य कोषाधिकारी को पत्र लिखा गया। इसके बाद कर्मचारी फिर हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने सभी सील किए गए रिकार्ड को खोल कर जांच करने के आदेश दिए। तत्कालीन जांच अधिकारी डीएफओ सुधीर कुमार ने सभी रिकार्डों को खंगाला और सच सामने आने पर 30 नवंबर 2018 को सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था।