वैलेंटाइन डे स्पेशल: सांसद-IPS की पीसीएस बेटी को 'बेरोजगार' से हुआ प्यार, एक शर्त ने बदल दी जिंदगी
वैलेंटाइन डे (Valentine Day) पर हर कोई मोहब्बत की बात कर रहा है और न्यूज 18 भी आपको एक ऐसी जोड़ी से मिलवा रहा है, जिनकी कहानी दूसरों के लिए मिसाल है. ये लव स्टोरी सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे अनुराग भदौरिया (Anurag Bhadoria) और पीसीएस अफसर अनुपमा की है.
वैलेंटाइन डे (Valentine Day) पर हर कोई मोहब्बत की बात करता है और इस फेहरिस्त में न्यूज़ 18 भी आपको उन चुनिंदा जोड़ियों से मिलवा रहा है, जिनकी प्यार भरी कहानी दूसरों के लिए मिसाल है. यकीनन उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर इटावा के एक गांव से निकल कर सपा सरकार में राज्यमंत्री बनने तक का सफर तय करने वाले अनुराग भदौरिया (Anurag Bhadoria) और पीसीएस अफसर अनुपमा (Anupama) की मोहब्बत की कहानी आपका मन मोह लेगी.
दिल्ली में शुरू हुई लव स्टोरी
अनुराग और अनुपमा की लव स्टोरी दिल्ली में शुरू हुई. अनुपमा की मां सुशीला सरोज सांसद थीं और पिता आईपीएस थे. वहीं अनुराग फक्कड़, बेफिक्र और बेरोजगार हुआ करते थे. पढ़ाई के दौरान ही दिल्ली में अनुपमा से उनकी पहली मुलाकात हुई थी. जी हां, उस वक्त दोनों सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे थे और जल्द ही अनुपमा पीसीएस अफसर बन गईं. जबकि अनुराग को कुछ भी हासिल नहीं हुआ.
पहली नजर में भा गईं अनुपमा
अनुराग कहते हैं कि बात कोई 1999 की रही होगी जब हम दोनों दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने पहुंचे थे. कोचिंग में हमारी मुलाकात हुई. अनुपमा मुझे पहली ही नजर में भा गई, लेकिन मैं हिम्मत नहीं कर पाया कुछ कहने की. अनुराग कहते हैं कि अनुपमा का परिवार बहुत प्रतिष्ठित था. जबकि मेरे पिता आर्मी में थे. मैं मस्तमौला था और सच कहूं तो मुझे कोई फिक्र नहीं थी. हालांकि धीरे-धीरे मेरी एकतरफा मोहब्बत बढ़ ही रही थी. जबकि अनुपमा से मैं हमेशा पढ़ाई की ही बात करता था. इससे ज्यादा कभी हिम्मत नहीं कर पाया था.
अनुपमा बनी पीसीएस और...इस बीच अनुपमा का सेलेक्शन यूपीपीएससी में हो गया और वो पीसीएस अफसर बन गईं. यही नहीं, वो दिल्ली छोड़ कर लखनऊ आ गईं, जबकि मैं और परेशान हो गया क्योंकि मेरे पास कोई नौकरी नहीं थी. हालांकि तब तक मैं ये जान चुका था कि अनुपमा भी मुझे मन ही मन चाहने लगी है. मैंने अनुपमा के लखनऊ आने के बाद अपने मोबाइल से उसे एक मैसेज किया. मैंने लिखा था, 'मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूं, लेकिन मैसेज भेजने के बाद मैंने डर के मारे अपना मोबाइल बंद कर दिया. दो दिन बाद जब दोबारा मोबाइल खोला तो अनुपमा का फोन आया और बोली पहले कुछ कर लो फिर बताना... मेरे लिए यह न सिर्फ एक शर्त थी, बल्कि अपने आपको साबित करने का मौका भी था. मैं फौरन कोलकाता चला गया और वहां से आईआईएम से मैनेजमेंट की पढ़ाई की और फिर नौकरी के लिए दिल्ली आ गया.
अनुपमा की स्कूटी पर बैठ कर लखनऊ घूमा करता था
अनुराग ने आगे कहा कि तब तक अनुपमा से मैं लखनऊ आकर चुपके-चुपके मिलता भी था. यही नहीं, मैं उसकी (अनुपमा) स्कूटी पर बैठ कर पूरा लखनऊ घूमा करता था. बाद में 2006 में हमारी शादी हुई. वहीं अनुपमा कहती हैं कि जब तक अनुराग की मुझसे शादी नहीं हुई थी, तब तक तो बहुत मेहनत से नौकरी की, लेकिन उसके बाद नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गए. हालांकि फिर दोनों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
ऑलराउंडर हैं अनुपमा
आज अनुराग भदौरिया राजनीति में एक बड़ा नाम हैं और वो सपा सरकार में राज्यमंत्री तक रहे हैं. इस वक्त वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. जबकि अनुपमा इस समय लखनऊ में पोस्टेड हैं और वो एक शानदार कम्पोजर और सिंगर हैं. उनके कई गानों ने खूब धमाल मचाया है. अनुपमा ने 2016 में मीका सिंह के साथ अपना पहला एलबम लाल दुपट्टा गाया. उसके बाद राहत फतेह अली खान के साथ 2017 में नैना ने सांवरे बंजारे एलबम गाया और फिर 2018 में स्वानंद किरकिरे के साथ दास देव एलबम में काम किया. इसके अलावा अनुपमा ने गुलाब गैंग, बिन बुलाए बाराती, मिले न मिले हम, जिला गाजियाबाद जैसी फिल्मों में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा है. फिलहाल दोनों का जीवन शानदार गुजर रहा है और दोनों हर शनिवार अपने परिवार के साथ बाहर आउटिंग जरूर करते हैं. अनुपमा और अनुराग का एक प्यारा सा बच्चा भी है.