झोपड़ी में रहने वालों को पक्के मकान देने की तैयारी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शहरी मलिन बस्तियों में झोपड़ियों में रहने वालों को उसी स्थान पर पक्के मकान बनाकर देने जा रही है। 25 जून 2015 या उससे पहले मलिन बस्तियों में रहने वाले परिवारों को पात्र माना जाएगा। इसके लिए 'स्व-स्थाने स्लम पुनर्विकास नीति' का प्रारूप तैयार हो चुका है। जल्द ही इसे कैबिनेट मंजूरी की तैयारी है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मलिन बस्तियों की आबादी 62.39 लाख है। राज्य सरकार चाहती है कि इन मलिन बस्तियों में कच्चे या फिर झोपड़ी में रहने वाले परिवारों को पक्के मकान बनाकर दिए जाएं। इसके लिए केंद्र एक लाख रुपये और राज्य सरकार 67000 रुपये अनुदान देगी। मकान फ्री में दिया जाएगा या फिर कुछ पैसा लिया जाएगा इसके बारे में अंतिम फैसला होना बाकी है। पात्रता की श्रेणी में लाभार्थी परिवारों में पति, पत्नी और अविवाहित बच्चे शामिल होंगे। कोई कमाने वाला वयस्क सदस्य चाहे विवाहित हो या अविवाहित को अलग परिवार समझा जाएगा। लाभार्थी परिवार या उसके अपने नाम से या उसके परिवार के नाम से देश के किसी भी भाग में पक्का मकान नहीं होना चाहिए।
बहुमंजिला इमारतें बनाई जाएंगी
मलिन बस्ती की जमीनों पर झोपड़ियों के स्थान पर तीन से चार मंजिला अपार्टमेंट बनाकर उसमें मकान दिए जाएंगे। इसके लिए निजी विकासकर्ताओं का सहारा लिया जाएगा। विकासकर्ता अधिकतम अधिकतम 30 वर्ग मीटर कारपेट क्षेत्र में पक्के मकान बनाकर देगा। पेयजल, सीवरेज लाइन और बिजली कनेक्शन की सुविधा इसमें देनी होगी। लाभार्थियों को शुरू में पहले 10 वर्षों के लिए आवंटित घरों को पट्टे पर रहने का अधिकार दिया जाएगा। इसके बाद उसे स्वामित्व अधिकार दिया जाएगा। इस दौरान जमीन का स्वामित्व शहरी स्थानीय निकाय के पास रहेगा।
विकासकर्ता को छूट मिलेगी
ऐसे मकान बनाने वाले विकासकर्ताओं को भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क से पूरी तरह छूट दी जाएगी। कुल जमीन का 10 फीसदी व्यावसायिक उपयोग कर सकेगा। भू-उपयोग 45 दिनों में अनिवार्य रूप बदला जाएगा। मिश्रित भू-उपयोग में आवासीय, व्यावसायिक और मनोरंजन उपयोग की अनुमति होगी। विकासकर्ता जिस जमीन को बेचेगा उसके लिए लेआउट पास करना जरूरी होगा। गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ और गौतमबुद्धनगर में उससे कुल क्षेत्र पर बाहरी विकास शुल्क का 50 फीसदी देना होगा। अन्य शहरों में यह शुल्क 25 फीसदी होगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्वीकृति और निगरानी समिति बनाई जाएगी। विकासकर्ता मकान बनाने वाले स्थान से हटाने वाले परिवारों को कम से कम 10 दिनों तक खाने की व्यवस्था करानी होगी। इसके साथ ही पालीथीन या तिरपाल शीट की व्यवस्था करानी होगी।
नीति का प्रारूप तैयार हो चुका है। इसका प्रस्तुतीकरण नगर विकास मंत्री के समक्ष किया जा चुका है। इसके लिए दिल्ली, गुजरात व हरियाणा माडल का सहारा लिया गया है। -उमेश प्रताप सिंह, निदेशक सूडा