यूपी कैबिनेट फैसला : सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए पंजीकरण कराना जरूरी
उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि सबमर्सिबल लगाने वाले राज्य के सभी लोगों के लिए अब रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। हालांकि घरेलू और किसानों को सबमर्सिबल लगाने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा। केवल रजिस्ट्रेशन कराना होगा, लेकिन औद्योगिक और अन्य उपयोग के लिए शुल्क लगेगा।
सेफ जोन को छोड़कर गैर अधिसूचित क्षेत्र के लिए सबमर्सिबल लगाने के लिए एनओसी लेना जरूरी होगा। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य भूगर्भ जल प्रबंधन एवं नियामक प्राधिकरण गठित होगा। प्राधिकरण औद्योगिक, व्यावसायिक या बल्क में भूजल का उपयोग करने वाली अन्य बड़ी संस्थाओं के लिए शुल्क तय करेगी। इसीलिए यूपी भूगर्भ जल (प्रबंधन और नियमन) कानून-2019 के प्राविधानों को लागू करने के लिए संबंधित नियमावली-2020 को मंजूरी दी गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कानून को लागू करने के लिए इससे संबंधित नियमावली को मंजूरी दी गई। जल शक्ति मंत्री डा. महेंद्र सिंह ने बताया कि फैसले के अनुसार ड्रिल करने वाली कंपनियों और ठेकेदारों को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। नियमावली में प्राधिकरण द्वारा भूगर्भ जल के लिए अधिसूचित और गैर अधिसूचित क्षेत्रों की घोषणा करने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि अभी हम जल स्तर ऊंचा करने के लिए उपाय कर रहे हैं, जरूरत पड़ी तो कड़ाई भी करेंगे। इसीलिए कानून को लागू करने जा रहे हैं। सीमा से अधिक जल दोहन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सभी निजी व सरकारी कालेजों, विभागीय व संस्थाओं के भवनों तथा 300 वर्ग मीटर से बड़ा घर होने पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। तीन सौ वर्ग मीटर से बड़े घर का नक्शा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए बिना पास नहीं होगा। नलकूप और सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने और एनओसी देने के लिए आन लाइन सिस्टम होगा। भूजल स्तर बढ़ाने के उपाय करने और कानून के सारे प्राविधान लागू करवाने के लिए ग्राम पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक कमेटियां बनेंगी। ये कमेटियां ग्राम पंचायत. ब्लाक, जिला पंचायत, नगर निगम, जिला पंचायत, जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय होंगी। जिले में डीएम की अध्यक्षता में कमेटी होगी।
प्रदूषित किया भूगर्भ जल तो सात साल की सजा
जलशक्ति मंत्री ने बताया कि पानी प्रदूषित करने वाले (जैसे पानी में कैमिकल आदि मिलाकर प्रदूषित किया) यदि प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए तो छह महीने से लेकर एक साल तक की सजा और एक लाख जुर्माना, दूसरी बार दोषी पाए जाने पर दो से पांच साल तक की सजा और दो से पांच लाख तक जुर्माना तथा तीसरी बार दोषी पाए जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और दस से बीस लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के जिलों में तेजी से जल स्तर नीचे जा रहा है। प्रदेश के 82 ब्लॉक अति दोहित, 47 क्रिटिकल और 151 सेमी क्रिटिकल हैं। इन सबको सेफ जोन में लाने के लिए प्रदेश सरकार कोशिश कर रही है। इसीलिए यूपी भूजल संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम-2019 लाया गया है। कैबिनेट ने इसकी नियमावली को मंजूरी दी है।
ग्राम्य विकास आयुक्त के अधिकार निदेशक को
कैबिनेट ने ग्रामीण पेयजल के लिए धनराशि मंजूर करने के अधिकारी ग्राम्य विकास आयुक्त से लेकर निदेशक ग्रामीण पेजयल व राज्य पेयजल व स्वच्छता मिशन के निदेशक को दे दिए हैं।