बेघर होने के कगार पर है शहीद रमेश यादव का परिवार
एक साल पहले जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था, जहाँ सेना के बस में 300 किलो RDX से भरा हुआ एक गाड़ी टक्कर मार दी थी, इस हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे, इस हमले का जिम्मेवारी पाकिस्तान के एक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
शहीद हुए सभी 40 जवानों में एक नाम वाराणसी के रमेश यादव का भी था, जिनके परिवार की स्थिति आज कुछ ठीक नही है। उनकी बरसी पर न कोई नेता और न ही कोई अफसर पहुँचे, उस जवान को सभी ने भूला दिया जिसने आज से ठीक एक साल पहले देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के तमाम अफसर को निर्देश दिए थे कि पुण्यतिथि पर शहीद के घर जाकर उनके परिवार का हाल जाने लेकिन किसी अफसर के पास इतनी भी वक़्त नही थी कि शहीद रमेश यादव के परिवार का हाल जान सके, इलाके के सत्तादल के नेता भी नही आये परिवार से मिलने।
शहीद रमेश यादव के माता व पिता ने बताया कि घर चलाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है इसलिए शहीद रमेश के पिता दूध बेचकर अपने परिवार को चला रहे है, रोज उन्हें गांव से दूर जाना पड़ता है दूध बेचने के लिए, रमेश यादव की माता रोते हुए बताती है कि उनके बेटे का कमी कोई पूरा नही कर सकता न ही उनके बुढापे का सहारा कोई बन सकता।
शहीद रमेश यादव की पत्नी रेणु यादव बताती है कि उनके पति के सहादत के बाद बड़े बड़े नेता, मंत्री और अफसर घर पे आये, सभी ने परिवार को भरोसा दिलाया था कि शहीद रमेश के नाम पर गौरा बाजार में सड़क और द्वार बनाया जाएगा लेकिन आज एक वर्ष बाद भी इन वादों को पूरा करने में सरकार असफल रही है।
शहीद रमेश यादव का मूर्ति लगाने का भी वादा किया गया था लेकिन इस मामले में भी अबतक कुछ नही हुआ है। रेणु यादव ने आगे बताया कि उनका एक तीन साल का बेटा आयुष है जो अब भी अपने पिता के मौत से अंजान है।
वन विभाग द्वारा पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के याद में 18 पेड़ लगवाए गए थे जिसमें में से 8 पौधे तो सुख गए, शहीदों के नाम पर लागये गए पेड़ो की देख रेख करने वाला कोई नही है। रमेश यादव के परिवार वालो ने आगे बताया कि शहीदों के याद में लागये गए पेड़ का भी ठीक से देख रेख नही किया गया और 8 पेड़ तो एक वर्ष के अंदर ही सुख गए।
सरकार द्वारा किया गया सारे वादे को भुला दिया गया और एक वर्ष बाद पुलवामा के 40 शहीद जवानों में ज़्यादातर जवानों के परिवार बहुत ही बुरे स्थिति में रह रहे है।