पुलवामा हमले का एक सालः वाराणसी के शहीद रमेश की पत्नी को मलाल, सड़क भी नहीं बनी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, आज पुलवामा हमले को एक साल हो गए। इस हमले में वाराणसी के रमेश यादव भी शहीद हो गए थे। उनकी शहादत के बाद नेताओं और अफसरों की तरफ से किये गए वादों में कई एक साल बाद भी पूरे नहीं हुए। शहीद की पत्नी रेनू को वादे के बाद भी इलाके में पति के नाम पर सड़क न बनने का मलाल है।
रमेश यादव की पत्नी रेनू ने कहा कि देश के लिए जान देने के बाद घर आए मंत्री और विधायकों ने बड़े-बड़े वादे किए थे। लेकिन शहीद के नाम से अबतक गौरा बाजार में अढ़िया तक सड़क नहीं बनीं। न ही स्व. रमेश यादव के नाम से द्वार बनाया गया। कहा कि कई मंत्रियों ने शहीद के नाम से स्टेडियम बनवाने का भी आश्वासन दिया था। गौरा बाजार से तोफापुर गांव तक पक्की सड़क शहीद के नाम से बनावाने की बात कही गई थी। लेकिन अब तक नहीं बनीं।
रेनू ने बताया कि मूर्ति और स्मारक बनवाने का भी आश्वासन दिया गया, लेकिन कोई व्यवस्था अबतक नहीं की गई। शहीद के पिता श्याम नारायण और माता राजमति का कहना है कि पेट के लिए काम जरूरी है इस लिए आज भी दूध बांटने दूर तक जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किए गए वादे अबतक पूरे नहीं हुए हैं। शहीद रमेश का तीन साल का बेटा आयुष अब भी पिता की मौत से अनजान है। मां ने भरी आंखों से कहा कि बेटे की कमी कोई भी पूरा नहीं कर सकता है। न ही बुढ़ापे का सहारा बन सकता है।
वहीं, जवानों की याद में वन विभाग ने एफडी योजना के तहत तोफापुर में 18 पौधे लगाए थे। विभागीय उदासीनता के कारण आठ पौधे सूख गए हैं। शहीदों के नाम पर लगाए गए पेड़ों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। रमेश के घर के पास उनकी याद में वन विभाग ने एफडी योजना 2018-2019 के तहत 18 जवानों के नाम पर ट्री गार्ड लगाकर कुल 18 पौधे लगाए थे। सभी ट्री गार्ड पर उनके चित्र अंकित कर शहीदों को सम्मान दिया गया था, लेकिन एक साल के अंदर ही आठ पौधे सूख गए हैं। विभाग की इस उदासीनता से परिजन नाराज हैं। उनका कहना है कि पौधों की देखरेख ठीक ढंग से नहीं की जा रही है।
बतादें कि वन विभाग ने रमेश यादव, भागीरथ सिंह राजस्थान, महेश कुमार उत्तर प्रदेश, मनेश्वर वासु मंत्री आसाम, विजय सोरेन झारखंड, राठौड़ नितिन महाराष्ट्र, सुदीप बिस्वास वेस्ट बंगाल, पंकज कुमार त्रिपाठी उत्तर प्रदेश, जमील सिंह पंजाब, रोहिताश लांबा राजस्थान, राम वकील, संजय कुमार सिन्हा बिहार, मोहनलाल उत्तराखंड, मनिंदर सिंह अत्रि पंजाब, शिव चंद्रन तमिलनाडु, प्रदीप कुमार उत्तर प्रदेश, बबलू संतरा वेस्ट बंगाल और अश्विनी कुमार कोच्चि मध्य प्रदेश के नाम से सभी पौधे लगाए गए थे।