BSP सुप्रीमो मायावती ने दिल्ली में बुलाई महत्वपूर्ण बैठक, BSP में बड़ा बदलाव संभव
बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) के सामने संगठन को एकजुट रखने की भी चुनौती है. पिछले कुछ महीनों में बसपा में सबसे ज्यादा नेताओं की टूट देखने को मिली. कहीं बसपा नेता सपा का दामन थामते नजर आए, तो कहीं बीजेपी का. ऐसे में बैठक में नेताओं को एकजुट रखने की रणनीति पर भी चर्चा होगी.
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने दिल्ली में शनिवार को पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में प्रदर्शन के साथ ही पार्टी छोड़कर जा रहे नेताओं के मुद्दे के अलावा संगठन में बड़े बदलाव को लेकर ये बैठक होगी. इस कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में पार्टी के सभी सांसद और कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. गुरुद्वारा रकाबगंज स्थित पार्टी ऑफिस में ये बैठक होनी है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के साथ मुनकाद अली, आरएस कुशवाहा, मलूक नागर इस बैठक में हिस्सा लेंगे.
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार संगठन में बड़े बदलाव करती रही हैं. इसमें जाति और समुदायों को ध्यान में रखकर नेताओं का चयन शामिल रहा. इसी क्रम में मायावती ने लोकसभा में कई बार पार्टी के नेतृत्व में परिवर्तन किया. हाल ही में उन्होंने मायावती ने ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष व लोकसभा में पार्टी के नेता के एक ही समुदाय का होने से यह परिवर्तन किया गया है. लोकसभा में बसपा का नेता रितेश पांडे को बनाया गया है, जबकि मुनकाद अली प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे. मायावती ने कहा कि यूपी विधानसभा में बसपा के नेता लालजी वर्मा, पिछड़े वर्ग से व विधान परिषद में बसपा के नेता दिनेश चन्द्रा, दलित वर्ग से बने रहेंगे मतलब यहां कुछ भी बदलाव नहीं किया गया है.
लगातार हो रहे संगठन में बदलाव
इससे पहले पिछले साल सितंबर में मायावती ने संगठन में मुस्लिम, पिछड़े और दलित समाज की नुमाइंदगी बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के तीन कोऑर्डिनेटर की तैनाती की थी. इनमें मुनकाद अली, आरएस कुशवाहा और भीमराव अंबेडकर के नाम शामिल रहे. यही नहीं, संगठन में हर जिले के लिए एक कोऑर्डिनेटर की व्यवस्था लागू कर दी है. ये तीनों कोऑर्डिनेटर सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे. ये महीने में एक बार ग्राउंड रिपोर्ट पर समीक्षा बैठक करेंगे. इसे लेकर समीक्षा बैठकें हो भी चुकी हैं.
पार्टी में टूट अहम मुद्दा
वैसे मायावती के सामने संगठन को एकजुट रखने की भी चुनौती है. पिछले कुछ महीनों में बसपा में सबसे ज्यादा नेताओं की टूट देखने को मिली. कहीं बसपा नेता सपा का दामन थामते नजर आए, तो कहीं बीजेपी का. ऐसे में बैठक में नेताओं को एकजुट रखने की रणनीति पर भी चर्चा होगी.