हथियार चलाने वाले अपराधियों के हाथ में आया तबला और हार्मोनियम
कभी अपराध के लिए कुख्यात रहे अपराधियों के कंठ अब सुर साधना में लीन नजर आते हैं। हथियार व बम बनाने में माहिर हाथों में तबला, ढोल, हारमोनियम देख हर कोई दंग रह जा रहा है। इन कुख्यातों के गले से संगीत की सुरीली तान निकल रही है।
अयोध्या के मंडल कारागार में निरुद्ध बंदी इन दिनों संगीत के क्षेत्र में अपना हुनर निखारने में लगे हैं। बंदी अब अपराध की रणनीति बनाने की बजाय संगीत में दिलचस्पी ले रहे हैं। संगीत के रास्ते बेहतर पुनर्वास की ओर बंदियों को ले जाने में जेल अधीक्षक बृजेश कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका है। बंदियों की संगीत क्षमता का अंदाजा लगाकर उन्होंने जेल परिसर में ही संगीत साधनालय बनाया है। संगीत शिक्षक की भूमिका में रामगोपाल सैनी हैं, जो खुद हत्या के मामले में मृत्युदंड की सजा पाए हुए है। रामगोपाल की टीम में बंदी शेरखान, राजकुमार, रंजीत, सतीश पाठक और रणजीत ऐसे नाम हैं, जो अपने गुनाहों का प्रायश्चित संगीत ज्ञान बांट कर रहे हैं। बंदियों के हुनर को देखकर जेल अधिकारी भी खुश हैं। फिल्मी गीत, देशभक्ति गीत तो किसी कोई लोकगीतों में दिल जीत रहा है।
30 बंदियों को मिल रहा सुरताल का ज्ञान
रामगोपाल सैनी, शेरखान और उनके साथियों की क्षमता इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन सामने आई। इनके संगीत ने समां बांध दिया। बंदियों का मानना है कि हृदय परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम संगीत है। संगीत के माध्यम से इन बंदियों की मनोदशा भी बाखूबी बयां हो जाती है। वाद्य यंत्रों के संचालन के बारे में अन्य बंदियों को बताने वाले ये बंदी जेल में बिरहा, बधाई आदि लोकगीत को समृद्ध बना रहे हैं। जेल अधीक्षक अयोध्या बृजेश कुमार ने बताया कि संगीत के प्रति बंदियों की रुचि को देखते हुए उन्हें वाद्ययंत्र उपलब्ध कराए गए हैं। गीत-संगीत का असर बंदियों की मनोदशा को भी सकारात्मक दिशा में ले जा रहा है। सफलता को देखते हुए इसे विस्तार दिया जाएगा।