गाजीपुर: समाजसेवी रमाकांत राय की 7वीं पुण्यतिथि पर दी गयी भावभीनी श्रद्धांजलि
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर समाजसेवी रमाकांत राय की 7वीं पुण्यतिथि सोमवार को उनके गृहग्राम अवथहीं में मनाई गई। इस दौरान एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा में सैकड़ों लोग पहुंचे। गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने दिल्ली से भेजे अपने संदेश में कहा कि रमाकांत राय को पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगीं। वे त्याग की मूर्ति थे। हमेशा सदभाव की बात करते थे। मध्यस्थता से हर समस्या का समाधान उनके पास था। उन्होंने कहा कि चूंकि इस समय लोकसभा का बजट सत्र चल रहा है इसलिए मैं अवथहीं नहीं पहुंच पा रहा हूं पर उनके बताए रास्ते और गरीबों के साथ हमेशा खड़े रखने की सीख मुझे हमेशा प्रेरित करती रहती है। इस अवसर पर रमाकांत राय के छोटे पुत्र बृज राज राय (आईएएस), विशेष सचिव, बिहार सरकार ने अपने पिता को नमन करते हुए कहा कि पिता जी हमलोगों के लिए वह वटवृक्ष थे, जो हमेशा ही लोगों को छाया देने का काम करता है।
वे सभी से कहते थे कि बच्चों में संस्कार की बेल को बढ़ाओ, बच्चे अपने आप एक नायाब हीरे की तरह चमक उठेंगे। उन्होंने महाभारत, ऋग्वेद और यजुर्वेद के प्रसंगों का जिक्र करते हुए कहा कि वैदिक रीति में भी पिता के महत्व का वर्णन है। समाज में भारतीय संस्कृति की मजबूती के लिए भारतीय संस्कारों को अपनाना जरूरी है। इससे समरूपता, भाईचारा और बन्धुत्व बढ़ता है। उन्होंने कहा कि माता पिता से बढ़कर कोई नहीं होता है। माता पिता की स्मृतियों को संजोकर रखना चाहिए। मौके पर लोगों ने बाबूजी के संघर्षशील व्यक्तित्व की चर्चा की। लोगों ने बताया कि रमाकांत राय एक व्यक्ति ही नहीं एक विचार भी थे। फौलादी विचारधारा के धनी थे। हर समय लोगों को एक दूसरे के साथ मिलकर रहने, लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करते रहे।
अपने कर्मों की बदौलत ही समाज में वे लोकप्रिय थे। समाज के हर तबके के साथ उनका जुड़ाव था। कार्यक्रम का समापन उनके बड़े बेटे शिवकुमार राय ने धन्यवाद ज्ञापन कर किया। श्रद्धांजलि सभा में दिवाकर राय, दिवाकर मिश्र, अखिलेश राय, हीरा यादव, मुन्ना यादव, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि, मुहम्मदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष शमीम अंसारी, पूर्व ब्लाक प्रमुख बीरेंद्र यादव प्रेमशंकर राय श्रीराम राय अखिल राय रामनाथ ठाकुर अखिलेश राय दयाशंकर मिश्र आदि मौजूद थे। अध्यक्षता पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदानंद राय उर्फ लुटूर राय और संचालन प्रेमशंकर राय ने किया।