गाजीपुर: परिषदीय विद्यालयों के भवन निर्माण में धन का बंदरबांट होने से मानक की उड़ाई ही जा रही हैं धज्जियां
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर भांवरकोल परिषदीय विद्यालयों के भवन निर्माण में धन का बंदरबांट होने के कारण मानक की धज्जियां तो उड़ाई ही जा रही हैं, साथ ही भवनों का निर्माण कार्य भी वर्षों तक अधर में लटका हुआ है। इसका जीता-जागता उदाहरण प्राथमिक विद्यालय लोहारपुर में देखा जा सकता है।
इस विद्यालय के लिए लगभग एक दशक पूर्व दो अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कार्य शुरू किया गया जो अब तक पूरा नहीं हो सका है। एक कमरे की दीवारों का प्लास्टर तो हो गया है लेकिन इसके अंदर का न तो फर्श बना है और न ही दरवाजे लगे हैं। इसी कमरे के बगल में उसी समय के बने एक कमरे के दरवाजे व खिड़कियां तो लगी ही नहीं हैं, इसके अंदर का फर्श बिना बनाये तथा दीवारें बिना प्लास्टर कराये ही छोड़ दी गई हैं।
शायद मानक की अनदेखी का ही परिणाम है कि प्राथमिक विद्यालय खरडीहा प्रथम का लगभग डेढ़ दशक पूर्व बनने वाले भवन के जर्जर व खतरनाक होने के कारण एक दिन भी इस भवन में अध्ययन अध्यापन नहीं हो सका और आज भी पुराने भवन में ही प्राथमिक विद्यालय खरडीहा प्रथम संचालित हो रहा है। इसी प्रकार निर्माण के 12 वर्षो के अंदर ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुखडेहरी कला का फर्श तो बना ही नहीं। भवन जर्जर होने के कारण यह खतरनाक भी हो गया है। बारिश होने पर इसका छत टपकने लगती है। बेसिक शिक्षा विभाग भवनों को इस प्रकार अपूर्ण छोड़कर जिम्मेदारी का सही निर्वहन न करने वालों पर इतना मेहरबान क्यों रहता है? इसके जवाब का इंतजार आम लोगों को है।