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गाजीपुर: चकबंदी लेखपाल का शव लेकर धरने पर बैठे परिजन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर चकबंदी के लेखपाल इंद्रेश यादव की संदिग्ध हालत में हुई मौत के मामले ने शुक्रवार को एक नया मोड़ ले लिया है। शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद पत्नी और भाई समेत परिवार के अन्य लोग शाम साढ़े तीन बजे सदर तहसील के पीछे स्थित चकबंदी कार्यालय में धरने पर बैठ गये। परिजनों का कहना था कि यह मामला खुदकुशी का नहीं बल्कि हत्या का है। विभाग के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों ने सुनियोजित साजिश के तहत इंद्रेश की हत्या करने के बाद केस को नया मोड़ देने के लिए शव को फांसी के फंदे पर लटका दिया था। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे सदर तहसीलदार व सीओ सिटी ओजस्वी चावला ने परिजनों को समझाकर धरना समाप्त कराया। बताते चले कि चकबंदी विभाग के लेखपाल इंद्रेश यादव पुत्र स्व. रामअवध यादव निवासी जमीलपुर थाना महाराजगंज जिला अजमगढ़ का शव उसके दफ्तर में फांसी के फंदे पर झूलते हुए मिला था। शव के पास ही सुसाइट नोट भी पुलिस ने बरामद किया था। 


जिसमें प्रेम प्रपंच का मामला लिखा हुआ था। पुलिस ने मामले को खुदकुशी करार देते हुए गुरुवार को शव का पोस्टमार्टम करा दिया और उसे परिजनों की सुपुदर्गी में दे दिया था। शुक्रवार को परिवार के लोग शाम के करीब साढ़े तीन बजे शव को लेकर चकबंदी कार्यालय में धमक पड़े और धरने पर बैठ गये। मृतक के भाई इंद्रमणि व पत्नी रेनू ने आरोप लगाया कि सिक्स व फोर लेन में पड़ने वाली कुछ जमीन पर बिना किसी मूल कागजात के कब्जा दिलाये जाने का दबाव इंद्रेश पर बनाया जा रहा था। यह दबाव भी उसके विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी बना रहे थे। उन्हीं लोगों ने साजिश के तहत इंद्रेश का हत्या की है। बताते चले कि वर्तमान में लेखपाल इंद्रेश की ड्यूटी रायपुर-बाघपुर क्षेत्र में थी। मामला संज्ञान में आने के बाद तहसीलदार सदर समेत सीओ सिटी मौके पर पहुंचे। परिजनों ने इस मामले में आरोपितों को चि्ह्तित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। तहसीलदार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने व केस की गम्भीरता से विवेचना करने का आश्वासन दिया। इसके बाद शाम करीब साढ़े चार बजे परिजनों ने धरना समाप्त किया। 

छोटे भाई ने सीओ सिटी को दी तहरीर
चकबंदी के लेखपाल इंद्रेश यादव के छोटे भाई इंद्रमणि यादव ने सीओ सिटी को तहरीर देते हुए बताया कि भाई के मौत की सूचना मिलने के बाद वह भी मौके पर पहुंचा था। उस वक्त दफ्तर का दरवाजा बंद था। दरवाजे की कोई कुंडी नहीं टूटी हुई थी। यहीं नहीं मौके से कोई ऐसा सबूत पुलिस को भी नहीं मिला जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि इंद्रेश ने खुदकुशी की है। दफ्तर बंद होने के दौरान इंद्रेश कमरे के अंदर कैसे पहुंचा यह सवाल इंद्रमणि को कौंध रहा है।

पुलिस को मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट
लेखपाल इद्रेश यादव के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद उसकी रिपोर्ट पुलिस के हाथ में पहुंच गई है। पुलिस के अनुसार मामला हैगिंग का है। लेखपाल के गले की हड्डी टूटी हुई है। शव करीब छह से सात घंटे तक फंदे पर झूला हुआ था। शहर कोतवाल धनंजय मिश्रा ने बताया कि अब तक की जांच में खुदकुशी का ही मामला सामने आ रहा है, लेकिन यदि परिवार के लोगों को इस जांच पर आपत्ति है तो नये सिरे से केस की जांच शुरू की जायेगी और जो भी सच्चाई होगी उसे सबके सामने लाया जायेगा।


प्रयोगशाला में होगा राइटिंग का मिला
लेखपाल इंद्रेश यादव के भाई इंद्रमणि ने आरोप लगाया कि शव के पास से जो सुसाइट नोट मिला है उसकी लिखावट और इंद्रेश की लिखावट में अंतर है। इंद्रमणि का कहना है कि यह सुसाइट नोट उसके भाई ने नहीं लिखा है। केस को दूसरी दिशा में घुमाने के लिए किसी ने यह सुसाइट नोट लिखा है। सीओ सिटी के समझ जब यह मामला आया तो उन्होंने तत्काल सुसाइट नोट व इंद्रेश द्वारा तैयार किये गये सरकारी दस्तावेजों की राइटिंग को मिलान करने के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ भेजने का निर्देश दिया है।

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