गाजीपुर: बिजली की हाई वोल्टेज आपूर्ति से शहर के सीसीटीवी कैमरे जले
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर जिले में बढ़ते अपराध रोकने के लिए शहर की तीसरी आंख कहे जाने वाले सीसीटीवी कैमरे की निगहबानी बंद हो गई है। शहर के प्रमुख स्थानों पर लगे कुल 15 कैमरे अपनी उपस्थिति का एहसास तो कराते हैं लेकिन इनके होने का कोई फायदा आम आदमी को नहीं मिल रहा क्योंकि पिछले एक महीने से हाई वोल्टेज बिजली की आपूर्ति के कारण सभी सीसीटीवी कैमरे में तकनीकी खराबी आ गई है। ऐसे में एक भी कैमरा काम नहीं कर रहा है। विभागीय अधिकारी बता रहे हैं कि संबंधित इंजीनियर को सूचना दी गई है। बहुत जल्द इसे दुरुस्त करा लिया जाएगा। वर्तमान समय में विशेष आयोजनों के लिए रिजर्व में रखे गए आठ सीसीटीवी कैमरों का समय-समय पर इस्तेमाल किया जा रहा है। शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों पर एक नजर डालें तो लंका बस स्टैंड के आसपास तीन, रेलवे स्टेशन के पास कुल चार, महुआबाग में चार और विशेश्वरगंज में चार लगाए गए हैं लेकिन वर्तमान में एक भी काम नहीं कर रहे हैं। पुलिस का दावा है कि शहर में 15 सीसीटीवी कैमरों को सर्विलांस से जोड़ा गया है। यह 24 घंटे लोगों की निगहबानी करते हैं। इसके लिए शहर में एक कमांड सेंटर भी बनाया गया है। इसके जरिए एक जगह से ही पूरे शहर पर न केवल नजर रखी जाती है, बल्कि कैमरे में कैद आपराधिक घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेकर उनके विरुद्ध कार्रवाई भी की जा सकती है।
पुलिस विभाग की माने तो शहर में लगे कैमरों में नाइट विजन भी लगा है, ताकि रात के अंधेरे में अपराधी को बचने का मौका न मिले। रात के अंधेरे में अपराध कर भाग रहे बदमाशों की रिकार्डिंग के जरिए फेस डिटेक्शन साफ्टवेयर से उसकी पहचान की जाती है। यह कमांड सेंटर जिले में तीन साल से काम कर रहा है। शहर में चार जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। वीडियो सर्विलांस की रिकार्डिंग एक महीने तक सुरक्षित रखी जाती है। पुलिस विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले में पहले की अपेक्षा अपराध कम हुए हैं। इन कैमरों की वजह से महिलाओं और छात्राओं के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म जैसे संगीन घटनाओं में भी पिछले साल की तुलना में 36 फीसद की कमी आई है। कमांड सेंटर सिर्फ शहर में होने वाले अपराधों पर ही निगाह नहीं रखता, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसके जरिए निगाह रखी जा रही है। उधर, पुलिस लाइन स्टोर में रिजर्व में रखे गए सीसीटीवी कैमरों को मेला, मूर्ति विसर्जन और नेता, मंत्रियों के वीआईपी कार्यक्रम लगाए जाते हैं। पुलिस अधीक्षक डा. ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे लगने से शहर में 36 प्रतिशत अपराध में कमी आई है।
28 लाख लूट और मैनेजर की हत्या के बाद लगे थे कैमरे
शहर के चर्चित शराब व्यवसायी के मैनेजर मनोज सिंह की हत्या और 28 लाख की लूट के बाद पहली बार मार्च 2016 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण द्वारा अपराधियों पर नजर रखने के लिए आठ लाख की लागत से शहर के विभिन्न चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया गया। तब शहर में कुल 25 सीसीटीवी कैमरे शहर के प्रत्येक चौराहों पर लगाने के लिए खरीदे गए थे। इससे शहर में आने-जाने वालों पर नजर रखी जा सके। वर्तमान में यह मिशन फेल होता नजर आ रहा है। प्रमुख चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों में तकनीकी खराबी आने से पुलिस महकमे का सारा सिस्टम फेल है। इसकी शिकायत संबंधित कंपनी से की गई है लेकिन यह कैमरे कब तक दुरुस्त किए जाएंगे, इस बारे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।