आय से अधिक संपत्ति के मामले में फिर बढ़ सकती हैं मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की मुश्किलें
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने अपने हलफनामे में सीबीआई पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने और मुलायम सिंह यादव पर झूठे बयान दर्ज कराने का आरोप लगाया है.
गाजीपुर न्यूज़ टीम, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ बंद किए गए आय से अधिक संपति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर हुआ है. याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने अपने हलफनामे में सीबीआई पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने और मुलायम सिंह यादव पर झूठे बयान दर्ज कराने का आरोप लगाया है.
चतुर्वेदी का दावा है कि सीबीआई (CBI) ने इस मामले में सीवीसी (CVC) के सामने क्लोजर रिपोर्ट पेश ही नहीं कि है. यह आरटीआई (RTI) के जवाब में सामने आया है और ऐसे में सीबीआई कि भूमिका पर संदेह होता है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में उचित आदेश जारी करने की मांग की है.
दरअसल पिछले साल CBI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में शुरुआती जांच 2013 में ही बंद कर दी गयी थी. इसके बाद तत्कालीन प्रधान न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस कार्यकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी की अर्जी पर सीबीआई को इस मामले में चार हफ्ते के अंदर नया जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था.
मुलायम सिंह यादव का जवाब
वहीं मुलायम सिंह यादव ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने हलफनामे में आरोप लगाया था कि कांग्रेस कार्यकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी छवि खराब करना चाहते थे. शीर्ष अदालत ने 25 मार्च को मुलायम सिंह यादव को नोटिस जारी किया था. इसी के जवाब में सपा नेता ने यह हलफनामा दाखिल किया है. इसमें उन्होंने कहा कि चतुर्वेदी ने 2019 के चुनाव के दौरान राजनीतिक लाभ के लिए दुर्भावना से यह आवेदन दायर किया है.
इससे पहले चतुर्वेदी ने अपने आवेदन में जांच ब्यूरो को सपा नेता मुलायम सिंह और उनके दोनों बेटे अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ आरोपों की जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.
2007 में जांच के आदेश
एक मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने चतुर्वेदी की याचिका पर CBI को मुलायम सिंह यादव और उनके परिजनों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में शरुआती जांच करने का निर्देश दिया था.
हालांकि कोर्ट के इस फैसले पर मुलायम सिंह यादव ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी लेकिन 2012 में उसे खारिज कर दिया गया था. साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को जांच जारी रखने का आदेश भी दिया था. कोर्ट ने तब अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को इस जांच के दायरे से बाहर कर दिया था.