उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों को हर साल देना होगा अपनी संपत्ति का ब्यौरा, DGP ने भेजा प्रस्ताव
पुलिसकर्मियों (Policemen) को खुद, पत्नी अथवा किसी भी आश्रित सदस्य के नाम पर खरीदी गई संपत्ति का ब्यौरा देना होगा.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से बड़ी खबर आ रही है. राज्य में अब पुलिसकर्मियों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होगा. हर साल खरीदी और बेची गई चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देना होगा. राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह (OP Singh) ने शासन को इसका प्रस्ताव भेजा है.
अब तक आईपीएस अधिकारी हर साल देते थे संपत्ति का ब्यौरा
सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता लाने के लिए डीजीपी ने यह कदम उठाया है. आईपीएस के अलावा पीपीएस, गजेटेड, नॉन गजेटेड पुकिसकर्मी, इंस्पेक्टर, सबइंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल इसके घेरे में होंगे. अब तक आईपीएस अधिकारी हर साल संपत्ति का ब्यौरा देते थे.
पुलिस मुख्यालय के एक प्रेस नोट के मुताबिक, पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस में शुचिता एवं पारदर्शिता लाने के लिए पीपीएस संवर्ग एवं अराजपत्रित अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा प्रति वर्ष चल अचल सम्पत्ति के क्रय विक्रय की घोषणा को अनिवार्य किए जाने के लिए शासन को पत्र लिखा है.
पहली पोस्टिंग के समय भी देना होगा ब्यौरा
प्रेस नोट के अनुसार, प्रथम नियुक्ति के समय और उसके हर पांच साल पर पुलिस विभाग के प्रत्येक सरकारी कर्मचारी ऐसी सभी अचल सम्पत्ति की घोषणा करेगा, जिसका वह स्वामी हो, जिसे उसने स्वयं अर्जित किया हो. या फिर उसकी पत्नी या उसके साथ रहने वाले या किसी प्रकार भी उस पर आश्रित उसके परिवार के किसी सदस्य द्वारा रखी हुई हो या अर्जित की गई हो.
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों हेतु चल अचल सम्पत्ति का विवरण प्रति वर्ष कैलेण्डर वर्ष के शुरुआत में 15 जनवरी तक दिया जाना अनिवार्य है.