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गाजीपुर: एक साथ निकली तीन अर्थी तो फफक पड़ा पूरा गांव

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर रेवतीपुर भदौरा रेलवे स्टेशन पर ट्रैक पार करते समय संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से मां-बेटी समेत तीन की कटकर मौत के बाद पूरा गांव सदमे में है। रविवार को एक साथ जब तीन अर्थियां निकलीं तो पूरा गांव फफक पड़ा। परिजनों की चीत्कार लोगों का कलेजा बेध रही थी। इधर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे जिले के प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने परिजनों को ढांढस बंधाया और उनकी हर मदद का आश्वासन भी दिया।

स्थानीय गांव निवासी अच्युतानंद पांडेय व उनके बड़े भाई आर्मी से सेवानिवृत्त सच्चितानंद पांडेय पूरे परिवार के साथ कोलकाता रहते हैं। बीते 25 दिसंबर को क्रिसमस-डे की छुट्टी पर अच्युतानंद पांडेय अपनी पत्नी प्रियंवदा पांडेय, बड़ी पुत्री अर्चिता, पुत्र अभिषेक व मासूम अर्पणा के साथ गांव आए थे। छुट्टी समाप्त होने पर कोलकाता जाने के लिए वह गांव से देर शाम अपने परिवार के साथ भदौरा रेलवे स्टेशन पंजाब मेल पकड़ने निकले। वहां पहुंचने के बाद पता चला कि एक वर्ष की मासूम अर्पणा का दूध का बोतल घर ही छूट गया। सूचना देने पर उनके मित्र अजीत पांडेय दूध का बोतल लेकर भदौरा स्टेशन पहुंच गए। 

परिजनों ने बताया कि प्लेटफार्म नंबर दो पर परिवार के साथ खड़े अच्युतानंद पांडेय को जानकारी हुई कि पंजाब मेल प्लेटफार्म नंबर एक पर आने वाली है, तो वह पुत्र अभिषेक को लेकर प्लेटफार्म पर पहुंच गए व प्रियंवदा अपनी मासूम पुत्री अर्पणा व अर्चिता के साथ रेलवे ट्रैक पार कर रही थीं। इसी दौरान अजीत पांडेय व अच्युतानंद पांडेय की नजर जैसे ही तेजी से आ रही संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस पर पड़ी वह उन्हें बचाने के लिए ट्रैक पर कूद पड़े और उन्हें खींचने का प्रयास करने लगे लेकिन ट्रेन के झटके से अजीत पांडेय, प्रियंवदा पांडेय व अर्चिता की मौत हो गई। जबकि झटका लगने से अर्पणा प्लेटफार्म नंबर दो पर जा गिरी और अच्युतानंद पांडेय घायल हो गए। हादसे की जानकारी होते ही पहुंची दिलदारनगर जीआरपी ने तीनों शवों को कब्जे में ले लिया। वहीं घायल अच्युतानंद व अर्पणा को इलाज के लिए भदौरा सीएचसी लाया। जहां डाक्टरों ने उपचार के बाद दोनों को छोड़ दिया।


फुट ओवरब्रिज रहा होता तो बच गई होती जान
भदौरा रेलवे स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज ना होना यात्रियों के लिए काफी घातक हो गया है। अब तक करीब दर्जनों से ऊपर यात्री की ट्रैक पार करके प्लेटफार्म बदलते समय ट्रेन की चपेट में आने से अपनी जान गवां चुके हैं। क्षेत्रीय ग्रामीणों की मांग पर फुट ओवरब्रिज का निर्माण कार्य शुरू तो करा दिया गया, लेकिन निर्माण कार्य की गति धीमी होने से हादसे बढ़ते जा रहे हैं। दुर्घटना की जानकारी होते ही मौके पर पहुंचे ग्रामीणों में इस बात को लेकर चर्चा थी कि अगर आज फुटओवर ब्रिज रहा होता तो तीनों की जिदगी बच गई होती।

आर्थिक रूप से कमजोर है परिवार
ट्रेन से कटकर मृत अजीत पांडेय का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। अच्युतानंद पांडेय के गांव आने पर अजीत हमेशा ही साथ रहते थे। वह जब भी उन्हें कोलकाता जाना होता था, तो वे उन्हें भदौरा व दिलदारनगर ट्रेन पकड़ाने जाते थे। दोनों लोगों को काफी गहरी मित्रता थी। हादसे में अपने मित्र, पत्नी व पुत्री को खो चुके घर के बाहर अच्युतानंद पांडेय चरपाई पर बेसुध पड़े हुए थे। वहीं ग्रामीण परिजनों को सांत्वना देकर शांत करा रहे थे।


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