गाजीपुर: सीएए विरोध के तूफान में भी गंगा-जमुनी तहजीब का गाजीपुर में जलता रहा मशाल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर सीएए विरोध के तूफान में गाजीपुर की गंगा-जमुनी तहजीब का मशाल दमदारी से जलता रहा। जबकि पड़ोसी जनपदों वाराणसी, मऊ, आजमगढ, भदोही, चंदौली आदि जिलों में हिंसा ने इस तहजीब को तहश-नहश कर दिया। हिंसा की आग पर राजनीति की रोटी सेकती रही बेगुनाहों का खून सड़कों पर गिरता रहा। गाजीपुर की गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल पूर्वांचल में ही नही पूरे प्रदेश में हो रही है। यहां के जनप्रतिनिधि, पुलिस प्रशासन व बुद्धिजीवियों ने मिलकर इस तूफान में भी तहजीब के मशाल को जलाये रखा। इस संदर्भ में पुलिस अधीक्षक डा. अरविंद चतुर्वेदी ने गाजीपुर न्यूज़ टीम को बताया कि पूरे जनपद में वर्तमान कानून व्यवस्था की परिदृश्य में किसी प्रकार का तनाव नही है।
यह इस बात का प्रमाण है कि जिले के जिम्मेदार बुद्धिजीवियों, धर्मगुरुओं व मीडिया के लोगों ने अपनी भूमिका बड़ी ईमानदारी से निभाई है। पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार संवाद स्थापित करके सीएए के बारे में तथ्यात्मक जानकारी दी गयी जिससे किसी प्रकार का दुष्प्रचार सफल नही हो सका। इतिहासविद् एवं साहित्यकार उबैदुर रहमान ने बताया कि सीएए व एनआरसी की वजह से समाज में बहुत बेचैनी है। लोग कागजात इकट्ठा करने में भटक रहे हैं लेकिन गाजीपुर के आवाम की प्रशंसा करनी चाहिए कि इन दिग्गकों के बावजूद शहरों की अस्मिता और गौरवशाली परम्परा को कायम रखा। न सड़क पर उतरे न कोई जुलूस लेकर निकला।
यह बड़ी बात है जिसकी जितनी तारीफ की जाये वह कम है। सत्यदेव ग्रुप आफ कालेजेज के चेयरमैन डा. सानंद सिंह ने गाजीपुर की जनता को बधाई देते हुए कहा कि जिले की राजनीति में तीन बड़े योद्धा है जिनके इर्द-गिर्द पूरी राजनीति चलती है। सांसद अफजाल अंसारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह हैं। यह तीनों नेता हिंदू-मुसलमान को लड़ाकर राजनीति करने में विश्वास नही करते हैं इसीलिए जिले में अमन-चैन कायम रहा। वरिष्ठ पत्रकार अमितेश सिंह ने बताया कि गाजीपुर की धरती वीर अब्दुल हमीद व डा. राही मासूम रजा की है। जिन्होने गंगा-जमुनी तहजीब के लिए अपनी प्राणों की आहुति दी है। उनके वंशज भी इस पर कायम हैं।