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गाजीपुर: सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का दावा गलत, गाजीपुर के मोहम्मदाबाद में भी 100 रुपये किलो है प्याज

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर देशभर में प्याज की बढ़ती कीमत ने लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ रखा है। प्याज की कीमत अब तक के सबसे उच्च स्तर है। गाजीपुर समेत समूचे प्रदेश में 100 रुपये किलो तक प्याज की कीमतें पहुंच चुकी हैं। वहीं बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का संसद में प्याज पर दिया बयान चर्चा में आया तो उसकी पड़ताल की गई। हिन्दुस्तान की पड़ताल में सांसद का दावा गलत साबित हुआ। 

पहले जानिये सांसद ने क्या कहा है
गुरुवार को बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने संसद में कहा कि दुनिया की सबसे उपजाऊ जमीन गंगा यमुना का मैदान है। जाकर देखिये वहां के किसान प्याज कैसे पैदा करते हैं। नासिक के किसान उस तरह के प्याज नहीं पैदा करते। उनके घर में आज भी एक-एक किसान के घर में सैकड़ों सैकड़ों बोरे प्याज रखे हैं। मेरे इलाके में 20 से 25 रुपये किलो प्याज बिक रहे हैं। ये प्याज की राजनीति कब तक करोगे। चलो मेरे साथ मोहम्मदाबाद में एक ट्रक प्याज 25 रुपये प्रति किलो दिलाते हैं। 

असलियत सांसद के दावे के बिल्कुल उलट है
सांसद के दावे पर हिन्दुस्तान ने जब मुहम्मदाबाद में इसकी पड़ताल की तो पता चला कि प्याज का दाम 80 से 100 रुपये प्रति किलो है। यही नहीं मुहम्मदाबाद समेत गाजीपुर के दुकानदार सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के बयान से असहमत दिखे। बलिया संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कस्बे मुहम्मदाबाद में दर्जन भर दुकानों पर प्याज के दाम दावे से बिल्कुल उलट दिखाई दिये। पूरे देश की तरह यहां पर भी ज्यादातर दुकानों पर प्याज 100 रुपये के आसपास ही हैं। दुकानदारों के अनुसार 15 दिन के अंदर ही प्याज के दाम डेढ़ गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है। 25 नवंबर से लेकर बीते पांच दिसंबर तक प्याज की कीमतें 65-70 रुपये किलो तो पांच दिसंबर को यह 90-100 रुपये किलो पर पहुंच गया। 

मुहम्मदाबाद ब्लाक के बाहर विजय कुमार और छोटू केसरी की सब्जी की पुरानी दुकानें हैं। सालों से प्याज का इतना बढ़ता रेट इन्होंने नहीं देखा। सब्जी विक्रेता विजय ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में प्याज के बढ़ते दामों ने लोगों रसाेई का बजट बढ़ा दिया है। उनके अनुसार सांसद ने पता नहीं कब प्याज खरीदा होगा जो 25 रुपये बता रहे हैं। यह भाव तो आठ महीने पुराना है। दूसरी ओर छोटू केसरी ने बताया कि प्याज के दाम बढ़ रहे हैं और थोक मार्केट में इसकी उपलब्ब्धता भी कम होती जा रही है। किसानों ने प्याज रख लिया और कम ही बेच रहे हैं। 
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