गाजीपुर: बेसहारा पशुओं के आशियाने में ठंड से बचाव की व्यवस्था नहीं
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर बेसहारा पशुओं के लिए जनपद में बनाए गए आश्रय स्थल दुर्व्यवस्था के शिकार हैं। कहीं पशु टीनशेड के नीचे हैं तो कहीं खुले में। उन्हें ठंड से बचाने के लिए अधिकांश जगहों पर कोई व्यवस्था नहीं है। जनपद में बनाए गए कुल 28 आश्रय स्थलों में 1244 पशु रखे गए हैं। नगरीय इलाके के आठ आश्रय स्थलों में 311 व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित 20 में कुल 933 पशु हैं। सबसे ज्यादा पशु 158 कासिमाबाद के बड़ौरा गांव में स्थित आश्रय स्थल हैं। मुहम्मदाबाद में मात्र तीन पशु हैं। पशुओं को ठंड से बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
गाजीपुर न्यूज़ टीम गुरुवार को आश्रय स्थलों की पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। शहर के आरटीआई मैदान में स्थित आश्रय स्थल में पशुओं को ठंड से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं है। पशु ठंड में ठिठुर रहे हैं। पशु चिकित्सक को प्रतिदिन पशुओं का जांच करना है लेकिन वे नियमित नहीं आते हैं। प्रति पशु विभाग द्वारा मात्र 30 रुपये खानपान का दिया जाता है। उसी में किसी तरह भूसा खिलाकर पशुओं को रखा गया है। सैदपुर नगर के जौहरगंज मोहल्ले में स्थित आश्रय स्थल में टीनशेड लगाया गया है। पशुओं को ठंड से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं है। नगर पंचायत के दो कर्मचारी यहां तैनात हैं जो पशुओं के खानपान का ध्यान देते हैं। यहां कुल 117 पशु हैं। चिकित्सक यहां प्रतिदिन आकर जांच भी करते हैं। कर्मचारी सुबह आकर पशुओं को धूप में ले जाते हैं और शाम को टीनशेड में बांध देते हैं। ईओ संतोष मिश्र ने बताया कि पशुओं को खिलाने के लिए विभाग से मिलने वाला पैसा पर्याप्त नहीं है। मानवता के नाते उनके लिए भूसा के साथ खरी, चूनी व हरे चारे की व्यवस्था कराई जाती है।
आश्रय स्थल में केवल तीन पशु
मुहम्मदाबाद : नगर में पालिका की ओर से जलकल परिसर में शेड डालकर अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल बनाया गया है। आश्रय स्थल में मात्र तीन पशु रखे गए हैं। गुरुवार को दोपहर में उन्हें शेड के बाहर धूप में बांधा गया था। भांवरकोल ब्लाक मुख्यालय पर बनाये गए अस्थायी आश्रय स्थल में पशु खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं। ठंड में ठिठुर रहे पशु विभिन्न प्रकार क बीमारियों की जद में आकर दम तोड़ रहे हैं। गोवंशों के रहने व खाने की व्यवस्था परिसर में बने हाटपैड में किया गया है। हाटपैड की क्षमता मौजूद गोवंशों की संख्या से कम होने व हाटपैड का घरौंदा सही न होने के कारण अधिकांश गोवंश खुले आकाश के नीचे रहने के लिए मजबूर हैं।
सर्दी के इस मौसम में ठंड के कारण गोवंशों के बीमार होने व दम तोड़ने का सिलसिला जारी है लगभग प्रतिदिन कम से कम एक गोवंश दम तोड़ रहे हैं। बिरनो क्षेत्र के भड़सर पानी टंकी में बने आश्रय स्थल में 30 बेसहारा गोवंश हैं। पशुओं को ठंड से बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। टीनशेड भी नहीं लगा है। पशु आश्रय स्थल होने के बावजूद पशु सड़कों पर इधर-उधर बैठे मिलते हैं। 30 से ज्यादा पशु आश्रय स्थल में ले जाने की जहमत विभाग नहीं उठाना चाहता है। करीमुद्दीनपुर क्षेत्र के कष्टहरणी भवानी के पास पुराने शीतगृह के शेड में बने अस्थायी गो आश्रय स्थल की हालत बदतर है। कुल 85 पशु हैं। दो पशु जमीन पर गिरे पड़े थे। उनकी हालत नाजुक लग रही थी। बरामदे के अंदर व बाहर गोबर व गंदगी के अम्बार के कारण दुर्गंध आ रही थी। पशुओं के खाने के नाम पर कुछ भूसा व टैंक में पानी भरा था। बरामदे के बाहर भूसा रखा गया था।
नोडल अधिकारी कर रहे जांच
पशु आश्रय स्थलों पर तिरपाल लगवाया जा रहा है। वाराणसी से आए व जिले से नामित नोडल अधिकारी पशु आश्रय स्थलों की जांच कर रहे हैं। कल शाम तक वे रिपोर्ट देंगे। कहा कि मात्र 30 रुपये एक पशु को खाने पीने के लिए विभाग से दिए जाते हैं। मानवता के नाते जहां-जहां पशु आश्रय स्थल है वहां अतिरिक्त व्यवस्था किसी तरह करायी जाती है। बताया कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए तिरपाल लगवाया जा रहा है। प्रतिदिन तिरपाल लगाए जाने की फोटो वाट्सअप पर आ रही है। कल तक सभी जगहों पर तिरपाल लग जाने की उम्मीद है। - मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, रवींद्र प्रसाद।