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गाजीपुर: डा0मुख्तार अहमद अंसारी ने अपनी जन्मभूमि को हमेशा किया गौरवान्वित- अम्बिका चौधरी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डा. मुख्तार अहमद अंसारी की 139वीं जयंती व डा. एमए अंसारी इंटर कालेज का वार्षिकोत्सव बुधवार को मनाया गया। छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी ने कहा कि डा. मुख्तार अहमद अंसारी का आजादी की लड़ाई में अप्रतिम योगदान रहा। उन्होंने हमेशा अपनी जन्मभूमि को गौरवान्वित किया। उन्होंने जिन्ना के साथ जाने के बजाए भारत में रहकर अपनी मातृभूमि को महत्व दिया। विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने बच्चों द्वारा पेश किए गए कार्यक्रम की भरपूर सराहना की गई। उन्होंने कहा कि डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी की देश भक्ति आज हम सब के लिए प्रेरणा परक है। ऐसे महान शख्सियतों ने जनपद का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करने का काम किया है।
वहीं कॉलेज के प्रबंधक एवं सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि गाजीपुर की धरती ने अनेक शख्सियतों को जन्म दिया है, जिन्होंने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी ऐसे ही शख्सियतों में शामिल हैं जिन्होंने देश की गुलामी के दौरान देश भक्ति और देश सेवा का अतुलनीय उदाहरण पेश किया। उन्होंने बताया कि डा0 मुख्तार अहमद अंसारी आजादी की लड़ाई में एक महानायक के रूप में उभरे और देश को दिशा देने का काम किया। कार्यक्रम में पूर्व विधायक शिबगतुल्लाह अंसारी, पूर्व एमएलसी राजदेव सिंह, पूर्व एमएलसी बच्चा यादव, ब्लाक प्रमुख सच्चे लाल यादव, दीपक सिंह समेत भारी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।

जानिये डा0 मुख्तार अहमद अंसारी को...
डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी साहेब अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मुस्लिम लीग और कांग्रेस को एक साथ ले आने का काम किया साथ ही साथ जब जिन्ना ने मुस्लिम लीग को भारत में मुसलमान का एकमात्र मुहाफ़िज़ बताने की कोशिश की तो मज़बूती के साथ जिन्ना की मुखालफत भी की। डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी ने विक्टोरिया हाई स्कूल में शिक्षा ग्रहण की और मद्रास मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की और छात्रवृत्ति पर अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। 


उन्होंने एम.डी. और एम.एस. की उपाधियाँ हासिल की। वे एक उच्च श्रेणी के छात्र थे और उन्होंने लंदन में लॉक हॉस्पिटल और चैरिंग क्रॉस हॉस्पिटल में कार्य किया। वे सर्जरी में भारत के अग्रणी थे और आज चैरिंग क्रॉस हॉस्पिटल में उनके कार्य के सम्मान में एक अंसारी वार्ड मौजूद है। डॉ॰ अंसारी इंग्लैंड में अपने प्रवास के दौरान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए. वे वापस दिल्ली आये और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों में शामिल हो गए। 1916 की लखनऊ संधि की बातचीत में उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1918 से 1920 के बीच लीग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 


वे खिलाफत आंदोलन के एक मुखर समर्थक थे ! डॉ॰ अंसारी (जामिया मिलिया इस्लामिया की फाउंडेशन समिति) के संस्थापकों में से एक थे और 1927 में इसके प्राथमिक संस्थापक, डॉ॰ हाकिम अजमल खान की मौत के कुछ ही समय बाद उन्होंने दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में भी काम किया। डॉ॰ अंसारी महात्मा गांधी के बहुत करीब थे और उनके अहिंसा तथा अहिंसक नागरिक प्रतिरोध के प्रमुख उपदेशों के साथ गांधीवाद के पक्षधर थे। महात्मा के साथ उनकी एक अंतरंग दोस्ती रही थी। डॉ॰ अंसारी का निधन 1936 में मसूरी से दिल्ली की यात्रा के मार्ग में एक ट्रेन में दिल का दौरा पड़ने से हो गया था, उन्हें दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में दफनाया गया है।

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