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गाजीपुर में आकाश में छाई धुंध की परत ने बढ़ाई चिंता

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर दीपावली के बाद लहुरीकाशी के आकाश में धुंध का व्यापक असर छाया है। सुबह देर तक और शाम को शहर से लेकर देहात तक आसमान में धुंध की परत नजर आ रही है। इसके चलते वायुमंडल में आक्सीजन भी कम सी महसूस होती है हालांकि सूर्य निकलने के बाद हालात सामान्य हो जाता है। धुंध को लेकर लोगों ने चिंता जताई तो मरीजों की संख्या में इजाफा होने की संभावना भी है। सरकार और प्रशासन ने इसको लेकर सभी विभागों को अलर्ट जारी किया है। 12 किमी प्रति घंटा की गति से चलने से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 211 पर चल रहा है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों जिला प्रशासन के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग कर धुंध से निपटने की रणनीति तैयार की थी। नवंबर की दस्तक के साथ आसमान में स्मॉक चिंता की लकीरें खींच रहा है। इससे तापमान गिरने के साथ ही दृष्यता भी कम होती जा रही है। सुबह शाम इस स्मॉग के चलते लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई और आंखों में हल्की जलन रही। लेकिन शाम होते-होते हवा की गति बढ़ने से स्मॉग भी छंटना शुरू हो गया। इसके साथ ही मौसम में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। बच्चों पर स्मॉग का खतरनाक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इसके लिए शिक्षक व चिकित्सक उन्हें इंडोर गेम खेलने की सलाह दे रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार दिन का तापमान गिरा है तो रात का तापमान बढ़ा है। हवा की रफ्तार बढ़ने का सीधा असर स्मॉग पर पड़ा है। आने वाले दो दिनों में हवा की रफ्तार 15 किमी प्रति घंटा तक पहुंचने के आसार हैं। इससे स्मॉग घटने से दिन का तापमान भी गिरेगा।

हवा चलने से शनिवार को स्मॉग का असर थोड़ा कम हुआ है। लेकिन रविवार को धुंध की स्थिति जस की तस बनी रही। वहीं वायु प्रदूषण का स्तर अभी भी खतरनाक बना है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि हवा की गति बढ़ने से स्मॉग छंटने के साथ तापमान गिरेगा। हालांकि धुंध के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रविवार सुबह से ही आसमान पर स्मॉग की चादर तनी हुई । दोपहर बाद तक यह स्थिति ठीक हुई और आंकड़ा अभी दो सौ से नीचे है। इससे खतरे की कोई बात नहीं है।

स्मॉग से बचने के उपाय

- मार्निंग वॉक पर ओस पड़ने के बाद ही निकलें। मॉस्क का प्रयोग करें।

- खाली पेट न टहलें, संभव हो तो घर पर ही व्यायाम करें।

- घर के आसपास अगर धूल उड़े तो पानी का छिड़काव करें। कार्यस्थल एवं घरों में तुलसी, मनीप्लांट जैसे प्रदूषण सोखने वाले पौधे लगाएं।

- बच्चे हों या बड़े, बाहर से घर लौटने पर आंखों को पानी से अवश्य धोएं।

- दमा, सांस के रोगियों को सुबह व शाम घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।

- स्कूल में यदि कोई बच्चा आंखों या त्वचा में जलन व सांस लेने में परेशानी बताता है तो उसे गंभीरता से लें।

- स्कूल प्रबंधन विशेष तौर पर ध्यान रखें कि स्मॉग के समय छात्र-छात्राओं को आउटडोर एक्टिविटी न कराएं।
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