गाजीपुर के अन्नाहजारे शम्मी सिंह
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर नगरवासियो के समस्याओं को लेकर मुखर शम्मी सिंह को अब जनता ने गाजीपुर के अन्नाहजारे के रूप में उपाधि दे दी है। करीब एक दशक से नगरवासियो के समस्याओं, कर्मचारियो के समस्याओं को लेकर जिस तरह से शम्मी सिंह ने सड़क पर उतरकर सिस्टम का विरोध किया है और सोये हुए नगरवासियो को जगाया है कि संघर्ष से ही उनका हक मिल सकता है। उस कार्य को लेकर आज पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है कि जो कार्य उदासीन जनप्रतिनिधि अपने जनता के लिए नही करा पाते है वह कार्य शम्मी सिंह धरना प्रदर्शन व आंदोलन के जरिए अधिकारियो से करवा लेते है।
करीब एक दशक पहले अपने पिता एसपी सिंह के मृत्यु के बाद शम्मी सिंह मर्चेंट नेवी में इंजिनियर की नौकरी छोड़कर वापस घर आये और पीजी कालेज में र्क्लक के पद पर नौकरी करने लगे। शिक्षक कर्मचारियो के परेशानी और दुख देखकर उन्होने कर्मचारियो की लड़ाई लड़ने का मन बनाया और शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के बैनर तले उन्होने शिक्षको व कर्मचारियो के हक की लड़ाई लड़ी जिससे वह पूरे कर्मचारी यूनियन में लोकप्रिय हो गये। उन्होने विभिन्न समय व मुद्दो पर कर्मचारी संघो को अपना समर्थन देकर उनके आवाज को बुलंद बनाया।
शुभचिंतको के सलाह पर वह दो बार नगर पालिका गाजीपुर के चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ें लेकिन मतों के विखराव के चलते वह चुनाव हार गये लेकिन जनता का साथ नही छोड़ें। नगर की समस्या जल जमाव, नाली निर्माण, सड़क निर्माण, स्वकर व सुहेलदेव एक्सप्रेस के ठहराव के लिए इन्होने आंदोलन कर गाजीपुर के जनता को जगाया और इन सभी समस्याओं का समाधान भी कराया। इस संदर्भ में शम्मी सिंह ने गाजीपुर न्यूज़ टीम को बताया कि हक के लिए संघर्ष करना हमारे खून में है।
हमारे नाना विश्वनाथ सिंह गहमरी ने गाजीपुर के समस्याओं के लिए संसद में आवाज उठाई इसके बाद मेरे पिता भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहते हुए भी सामाजिक कार्यो में बढ-चढकर भाग लेते थे और वह बेसहारो के हक की लड़ाई के लिए जाने जाते थे। उन्होने कभी विधानसभा और संसद का चुनाव नही लड़ा लेकिन जनता की आवाज को हमेशा बुलंद करते थे। परिवार की परंपरा को आगे जारी रखते हुए हम भी गाजीपुर के जनता की सेवा अंतिम दम तक करूंगा।