गाजीपुर का लाल डॉ बृजेश राय गुवाहाटी में लड़ रहा करप्शन के खिलाफ लड़ाई, लटकी बर्खास्तगी की तलवार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, 17 नवंबर की रात आम तौर पर शांत नजर आने वाले IIT गुवाहाटी में हलचल बढ़ गई। सैकड़ों की संख्या में छात्र हाथों में कैंडल लिए सड़कों पर थे। शुरुआत साइलेंट मार्च से हुई लेकिन बच्चे ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं पाए और एक शोर उठा 'जस्टिस फॉर बीके राय'। फिर इस शोर ने आईआईटी गुवाहाटी के पूरे कैंपस को अपने आगोश में ले लिया।
इस शोर के पीछे एक शख्स की मेहनत है जो गाजीपुर का है और अपनी मेधा से देश-दुनिया में नाम कमा चुका है। हम बात कर रहे हैं आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर बृजेश कुमार राय की। गाजीपुर के फिरोजपुर का यह युवा आईआईटी गुवाहाटी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनिरिंग डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। आज IIT गुवाहटी के स्टूडेंट अपने प्रोफेसर के लिए लड़ रहे हैं तो उसके पीछे एक लंबी कहानी है। ये कहानी प्रोफेसर बृजेश के साहस और ईमानदारी की है जिसके लिए उन्हें अपनी प्रतिष्ठित नौकरी तक दांव पर लगानी पड़ी है।
आपको बता दें कि डॉक्टर बृजेश ने आईआईटी मुंबई से अपनी पीएचडी पूरी की थी। उन्होंने 2011 में आईआईटी गुवाहाटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर जॉइन किया। अपने वसूलों के पक्के और इस ईमानदार नौजवान की असल लड़ाई तभी से शुरू हो गई। बृजेश बताते हैं कि आईआईटी गुवाहाटी आकंठ करप्शन में डूबा हुआ है। उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लड़ाई लड़ी तो इसका नतीजा ये हुआ कि 8 साल में उन्हें प्रमोशन तक नहीं मिला।
शुरुआत में उन्होंने अपनी शिकायतें मौखिक दर्ज कराईं। असर न होता देख उन्होंने 2015 में सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल करते हुए सवाल पूछने शुरू कर दिए। अबतक वे 200 से अधिक RTI दाखिल कर चुके हैं। आईआईटी गुवाहाटी ने एक बार फर्जी आरोप लगाकर डॉक्टर बृजेश को सस्पेंड भी कर दिया। उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ी और अपना पद फिर से हासिल किया।
इस बार उन्होंने इसरो से जुड़े एक प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि इस प्रोजेक्ट में करप्शन किया गया है। उन्होंने इसका खिलाफ इसरो तक से शिकायत की। इस बार आईआईटी गुवाहाटी प्रबंधन ने बोर्ड ऑफ गवर्नेंस की बैठक बुला 14 नवंबर को उनसे सफाई मांगी। डॉक्टर बृजेश ने बताया कि अब उन्हें पता चला कि प्रबंधन उन्हें टर्मिनेट कर सकता है।
लेकिन इस लड़ाई में वे अकेले नहीं हैं। अब छात्र भी उनके साथ हैं। हालांकि डॉक्टर बृजेश ये जरूर कहते हैं कि अब उनका मन भी यहां काम करने का नहीं रह गया है। लेकिन अंत में वे ये जोड़ना नहीं भूलते की भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी ये लड़ाई कभी नहीं खत्म होने वाली है।
By, TheNewsBrief