गाजीपुर: कागजी आंकड़ों का ऐसा खेल, आधा-अधूरा शौचालय और गांव खुले में शौचमुक्त
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर कागजी आंकड़ों का ऐसा खेल चला कि आधा-अधूरा शौचालय होने के बावजूद गांवों को खुले में शौचमुक्त घोषित कर दिया गया। जमीनी हकीकत यह है कि तमाम परिवार ऐसे हैं जिनके घर में शौचालय बना ही नहीं है। स्थिति तो यह है कि मानक विहीन व अनियमितता का ऐसा धब्बा लगा कि लोगों को शौच के लिए खेतों की तरफ रुख करना पड़ता है।
शौच मुक्त गांव। इसकी शुरुआत स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो अक्टूबर 2014 को की गई थी। इस योजना के तहत अक्टूबर 2019 तक सभी गांवों को खुले से शौचमुक्त किया जाना था। इसके लिए तीन लाख से ऊपर शौचालय निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया, लेकिन निर्धारित समय के अंदर शौचालय के निर्माण पूर्ण नहीं हुए। कई बार शासन की ओर से इसकी समय सीमा बढ़ाई गई। ऐसी स्थिति में जैसे-तैसे आधे-अधूरे शौचालय को कागजों में पूर्ण कराकर विभाग ने वाहवाही लूट ली, जबकि मुहम्मदाबाद, दुबिहां, करंडा, महराजगंज, दुबिहां, भांवरकोल, जमानियां सहित कई जगहों पर शौचालय का निर्माण आधा-अधूरा पड़ा है। जहां पूर्ण हो चुके हैं, वह इस्तेमाल करने लायक तक नहीं है।
दूसरे किस्त के अभाव में नहीं बने शौचालय
सदर विकास खंड के सरायमुनीमबाद गांव के अधिकांश लोग आज भी शौच के लिए खेत जाते हैं। वजह शौचालय के लिए 117 लोगों को एक किस्त छह हजार रुपये मिला। दूसरी किस्त नहीं मिलने पर आज भी आधा अधूरे शौचालय के भवन पड़े हैं। बाराचवर ब्लाक नसीरपुर, उतरांव, करकटपुर, सद्दोपुर, पातेपुर समेत कई गांवों मे शौचालय का लक्ष्य तक पूरा नहीं है। भांवरकोल ब्लाक के भेलमपुर उर्फ पंडितपुरा 94 के सापेक्ष कुल 55 शौचालय ही बने, जबकि कई वर्षभर से शेष पड़े हुए हैं।
जमानियां के हमीदपुर गांव में 445 शौचालय में महज 227 शौचालय ही बन पाया। वहीं दरौली गांव में 439 में 250 शौचालय ही अब तक बना है। एडीओ पंचायत प्रेम प्रकाश दुबे ने बताया कि धन के अभाव में निर्माण पूर्ण नहीं हो पाया। करण्डा ब्लाक के श्रीगंज में अभी भी 10 शौचालय नहीं बना। इसी तरह सोकनी बड़हरिया, गोसन्देपुर की स्थिति जस की तस है। मुहम्मदाबाद में अंतिम सर्वे में 5818 लोग पात्र मिले, लेकिन शौचालय आधे-अधूरे पड़े हैं।