गाजीपुर: सीता को चोंच मारकर जयंत ने गंवाई आंख
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी की ओर से नगर के अर्बन बैंक के निकट राजा शंभूनाथ के बाग में बुधवार की रात जयंत नेत्र भंग, ऋषि अत्रि मिलन व सीता-अनुसुइया संवाद का मंचन किया गया। सीता को चोंच मारकर जयंत को आंख गंवाई पड़ती है। लीला देखकर दर्शक भावविभोर हो गए। देर रात तक रामलीला देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
श्रीराम सीता व लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में पहुंचते हैं। पुष्प बगीचा से फूलों को तोड़कर सीता के बाल में लगाते हैं। इतने में देवराज इंद्र का पुत्र जयंत कौआ का रूप धारण करके सीताजी के कोमल चरणों में चोंच मारकर भाग जाता है। सीता के चरणों में रूधिर बहता देखकर श्रीराम उसका पीछा करने लगते हैं। नारद जी की बातों को सुनकर जयंत रूपी कौआ श्रीराम के पास जाकर अपनी गलती की क्षमा याचना करता है। प्रभु श्रीराम दया करके उसका एक आंख तीर से फोड़ देते हैं। इसके अलावा ऋषि अत्रिमिलन व सीता -अनुसुइया संवाद का मंचन किया गया। कृष्णांश त्रिवेदी, श्रवण कुमार गुप्ता, बाल गोविददत्त त्रिवेदी उर्फ राजन भैया, रोहित कुमार अग्रवाल, बाके तिवारी, राजकुमार शर्मा, राम सिंह यादव, कृष्ण बिहारी त्रिवेदी आदि थे।
श्रीराम के पैर छूते ही शिला बनी नारी
मुहम्मदाबाद : नगर में श्रीरामलीला समिति की ओर से अहिल्या तरण से लेकर जनकपुर नगर अवलोकन की लीला का मंचन किया गया। ताड़का वध करने के पश्चात विश्वामित्र ऋषि के साथ आश्रम पर जाते समय पत्थर की शिला श्रीराम के पैर से छूते ही नारी के रूप में आ जाती है। विश्वामित्र बताते हैं कि यह अहिल्या है, अपने पति अगस्त ऋषि के श्राप से पत्थर हो गई थी। विश्वामित्र को राजा जनक की पाती मिलती है। जनक ने यह खबर भेजा था कि उनकी पुत्री सीता के विवाह को लेकर वह स्वयंवर का आयोजन किए हैं। स्वयंवर में वह राम लक्ष्मण को लेकर पधारें। आमंत्रण पर जब विश्वामित्र जनकपुर पहुंचते हैं तो दोनों भाइयों की खूबसूरती को देखकर जनकपुर के लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इसके पश्चात रामलीला को आगे के लिए विराम दे दिया गया।