गाजीपुर: मगई नदी के पानी निकासी को लेकर अधिकारी बेफिक्र
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर लौवाडीह मंगई नदी का पानी अभी भी जस का तस खेतों में बना हुआ है। धान की फसल तो नष्ट हो ही गयी है अब रबी की बोआई भी संभव नहीं लग रही है। इससे किसानों के सामने अन्न का निवाला भी मुश्किल लग रहा है। किसानों के सामने गेहूं की खेती ही मात्र विकल्प बचा है। अगर पानी एक सप्ताह और रुका रहा तो गेहूं की बोआई भी संभव नहीं हो पाएगी। बावजूद इसके तहसील व जिले के प्रशासनिक अधिकारी इस समस्या से अपना ध्यान हटाकर पूरी तरह से बेफिक्र हो गए हैं।
किसानों के धरना-प्रदर्शन के बाद दबाव में आए उपजिलाधिकारी राजेश कुमार गुप्ता तेजी दिखाते हुए जगदीशपुर और महेंद आदि गांव के पास जाकर कुछ जाल हटवा दिए। उसके पश्चात आगे का जाल हटवाने को लेकर किसानों को भरोसा भी दिए, लेकिन बलिया के दौलतपुर गांव के पास लगा जाल अभी भी जस का तस है। इसकी शिकायत उपजिलाधिकारी से करने पर वह बलिया जनपद का मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं। प्रशासन के इस रवैए से किसानों में काफी आक्रोश व्याप्त है। किसानों ने कहा कि तहसील के प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते आज भी किसान बर्बादी का दंश झेल रहे हैं और अधिकारी चैन की सांस ले रहे हैं। अब किसानों के सामने सड़क जाम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
बीमा कंपनी के एजेंट बना रहे कम नुकसान का बेजा दबाव
लौवाडीह : प्रधानमंत्री फसल बीमा करने वाली कंपनी के एजेंट गांव का निरीक्षण करने के बजाय लेखपाल और कृषि विभाग के कर्मचारियों पर 50 प्रतिशत से कम नुकसान लिखने के लिए बेजा दबाव डाल रहे हैं। किसानों की माने तो एजेंट महेंद गांव में किसानों के सामने कम रिपोर्ट लिखने की बात कह रहे थे, जिसपर किसान भड़क गए। यही हाल लौवाडीह का भी है, जबकि इन गांव के अलावा सियाड़ी, मसौनी, गोंड़उर, राजापुर, परसा, मसौनी आदि गांव की लगभग 80 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है। किसान अश्वनी राय, सतीश राय, मनोज राय, राजेश यादव ने बताया कि किसानों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं प्रशासन से मिली भगत कर बीमा कंपनियां किसानों का अहित न कर दें।
कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि वह नुकसान का सही आंकलन करें ताकि उनके नुकसान का उचित मुआवजा मिल सके। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न हो।-मृत्युंजय सिंह, जिला कृषि अधिकारी।