गाजीपुर: स्कंदगुप्त के इतिहास में झांकने पहुंचे जापान के विदेशी इतिहासकार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर सैदपुर स्कंदगुप्त के बारे में जानकारी हासिल करने व उसकी विजय गाथा के इतिहास में झांकने की कवायद पुन: शुरू हुई है। इसी का परिणाम है कि शनिवार को स्कंद गुप्त के विजय स्तंभ व अवशेष देखने व अध्ययन के लिए सैदपुर के भितरी पहुंची पुरातत्व विभाग व इतिहासकारों की टीम। करीब 45 मिनट तक रही टीम ने स्तंभ के बगल खोदाई में मिले अवशेष देखा-परखा। उनके चेहरे पर स्कंदगुप्त के बारे में ज्यादा से ज्यादा ज्ञानार्जन की उत्सुकता झलक रही थी। टीम के आने को गत दिनों काशी हिदू विश्वविद्यालय में आयोजित गुप्तवंश के वीर स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का एतिहासिक पुन: स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य विषयक संगोष्ठी में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा उनके पराक्रम की चर्चा करने से जोड़कर देखा जा रहा है। लोगों में इस स्थल के विकास और इसको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की उम्मीद बलवती हो चली है।
जापान के टोकियो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उइबा ताकाकी, मंगोलिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उल्जित लुव संजाव, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई सेंटर के प्रोफेसर संजय भारद्वाज व दिल्ली विश्वविद्यालय के शोध छात्र विक्रम बीएचयू के भारत अध्ययन केंद्र के प्रो. राकेश उपाध्याय के साथ भितरी स्थित स्कंदगुप्त के विजय स्तंभ के पास पहुंचे। प्रो. उपाध्याय उन लोगों को अंग्रेजी में इस स्थल के महत्व व स्कंद गुप्त के पराक्रम के बारे में बता रहे थे। विदेशी प्रोफेसर स्थल पर शिलापट्ट पर इंग्लिश भाषा में लिखे तथ्यों को पढ़ने के साथ ही उनका फोटो भी ले रहे थे। आसपास के नजारे व अवशेष स्थल को वह कैमरे में कैद कर रहे थे।
सीएम ने कहा है कि मैं जरूर जाऊंगा
प्रो. राकेश उपाध्याय ने उन्हें बताया कि गुप्तवंश का कार्यकाल भारत का स्वर्णिम कार्यकाल था। इतिहास में इसका विस्तृत उल्लेख नहीं है। बीएचयू में पिछले दिनों हुई संगोष्ठी में गृहमंत्री अमित शाह ने इसके बारे में चर्चा की। विस्तृत इतिहास लिखवाने की भी जिज्ञासा जारी की। बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनसे कहा है कि वे स्वयं भितरी स्थित इस स्थल पर जरूर आएंगे। विजय स्तंभ व अवशेष स्थल के बारे में सामाजिक कार्यकर्ता सनेउल्लाह सिद्दीकी उर्फ सन्ने के अलावा अन्य ग्रामीणों से प्रोफेसरों की टीम ने इतिहास के बारे में जानकारी ली। लोगों ने बताया कि विजय स्तंभ का ऊपरी हिस्सा बिजली से क्षतिग्रस्त हो गया है। पुरातत्व विभाग द्वारा इसे लौह पट्टिका से बांधा गया है। सन्नेउल्लाह ने बताया कि जयपुर स्थित संग्राहालय में यहां की चार मूर्तियां रखी गई हैं। इसके अलावा देश के कई संग्राहालय में मूर्तियां रखी हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता ने दिखाया एतेहासिक शिवलिग व सुरंग
सामाजिक कार्यकर्ता शन्ने स्तंभ से कुछ दूरी पर स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिर के पास टीम को ले गए। बताया गया कि यह शिवलिग व वहां रखे छोटे-छोटे पत्थर की मूर्तियां व नंदी गुप्तकाल की ही हैं। विदेशी प्रोफेसरों ने उन्हें कैमरे में कैद भी किया। बताया कि शिवलिग हर वर्ष एक सेमी के आसपास जमीन में धंस रहा है। इसके अलावा स्थल से पश्चिम में कुछ दूरी पर स्थित एक मस्जिद के पास गुप्तकाल की सुरंग भी उन्होंने दिखाया। गांव में स्थित एक प्राचीन गोदाम भी टीम को ग्रामीण दिखाना चाहते थे लेकिन विदेशी प्रोफेसरों के पास वक्त न होने के कारण टीम वह गोदाम नहीं देख सकी।
स्तंभ व गरुण मंदिर पर चढ़ाई माला
प्रोफेसरों की टीम ने यहां पहुंचते ही स्तंभ व अवशेष स्थल में स्थित गरुण की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शीष नवाया। प्रोफेसर उपाध्याय ने बताया कि यहां भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा थी। प्रतिमा तो अब तक नहीं है लेकिन भगवान विष्णु की सवारी गरुण आज भी मौजूद हैं। उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता सन्नेउल्लाह द्वारा इस स्थल के रखरखाव के लिए किए जा रहे कागजी प्रयास को सराहा।
गाजीपुर का पराक्रम स्कंदगुप्त की प्रेरणा का प्रतिफल
प्रोफेसर ने बताया कि स्कंदगुप्त महान राजा थे। उनके पिता कुमार गुप्त हुणों से परेशान थे। तब स्कंदगुप्त ने कहा कि मैं हुणों से युद्ध करूंगा। तब उनके पिता ने पूछा था कि तुम उनसे मोर्चा कैसे लोंगे। स्कंद गुप्त का जवाब था कि मैं उनसे मोर्चा ले लूंगा और उन्हें हराकर रहूंगा। स्कंदगुप्त ने हुणों को पराजित किया।
सुबह पहुंची थी पुरातत्व विभाग की टीम
गृहमंत्री द्वारा स्कंदगुप्त की चर्चा किए जाने के बाद पुरातत्व विभाग भी हरकत में आ गया है। पुरातत्व विभाग के संरक्षण सहायक रजनीश कुमार व सहायक पुरातत्व विद राजेश यादव की टीम ने शनिवार की सुबह पहुंचकर विजय स्तंभ व अवशेष स्थल का जायजा लिया। ग्रामीणों ने रखरखाव न किए जाने की शिकायत की। साथ ही यहां चौकीदार तैनात करने की मांग की। पुरातत्व विभाग की टीम ने कहा कि आज हम रिपोर्ट तैयार करने आएं हैं। रिपोर्ट देने के बाद उच्चाधिकारियों के आदेश पर आगे कार्य किया जाए।