गाजीपुर: जलस्तर खतरा बिदु के पार, बढ़ा बीमारी का खतरा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर गंगा में घटाव का क्रम जारी है लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब बीमारी का खतरा शुरू हो गया है। बुधवार को गंगा का जलस्तर एक सेंमी प्रति घंटे की रफ्तार से घटाव जारी रहा। दोपहर दो बजे तक जलस्तर 63.790 मीटर रिकार्ड किया गया जो अब भी खतरे के निशान 63.105 मीटर से ज्यादा है। कुछ इलाकों में घटाव के साथ कटान का भी खतरा रहेगा। उधर, जिला प्रशासन ने राहत कार्य में पूरी ताकत झोक दी है। जलस्तर जरूर घट रहा है लेकिन लोगों की अब बीमारी से जंग शुरू हो जाएगी। हालांकि मुहम्मदाबाद क्षेत्र में मगई नदी का जलस्तर बढ़ने से लोगों की परेशानियां बनी हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर नजर बनाए हुए हैं।
गंगा के घटने के साथ राहत के आसार के बीच बाढ़ के पानी के साथ आई गंदगी के सड़ने के चलते संक्रमण का खतरा पैदा होने लगा है। नगर के लकड़ी के टाल, नखास, बंधवा, खजुरिया, मुलसियापुल आदि मोहल्लें में आया बाढ़ का पानी तो उतर चुका है लेकिन उनके साथ आई गंदगी में सड़न पैदा होने लगी है। ऐसे वातावरण में मच्छरों की प्रजनन क्षमता बढ़ने के कारण मलेरिया, डेंगू आदि बीमारियों की आशंका बढ़ गई है। लोगों को साफ-सफाई का विशेष धन रखना होगा। खासकर लोगों को मच्छरों से बचाव का विशेष इंतजाम करना होगा। हालांकि नगरपालिका की ओर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सफाई के निर्देश दिए जा चुके हैं।
रेवतीपुर : स्थानीय क्षेत्रों की गलियों से बाढ़ का पानी को समाप्त हो चुका है लेकिन वहां गंदगी एवं उसके सड़न के कारण दुर्गंध उठने लगी है। लोग नाक पर रुमाल रखकर उन क्षेत्रों से गुजर रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने कीटनाशक छिड़काव नहीं किया है जिससे बीमारियों का खतरा होने लगा है।
दिए जा चुके हैं निर्देश
एसीएमओ डा. आरके सिन्हा ने बताया कि बाढ़ प्रभावित ब्लाकों के सामुदायिक केंद्रों पर 60-60 बोरियां ब्लिचिग एवं 80-80 हजार क्लोरीन की गोलियां उपलब्ध करा दी गई हैं। साथ ही स्वास्थ्य र्किमयों को प्रभावित क्षेत्रों में उसका छिड़काव एवं वितरण करने का निर्देश जारी किया जा चुका है। बताया कि लोगों को उबले हुए पानी का सेवन करना होगा। साथ ही ताजे भोजन का इस्तेमाल उनके लिए लाभप्रद होगा। इसके अलावा लोगों को मच्छरों के प्रकोप से खुद को बचाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना होगा। इसके अलावा सोते समय शरीर को पूरी तरह से ढक कर सोएं ताकि मच्छरों के प्रकोप से बचाव हो सके।
सब्जी की खेती नुकसान देख किसान मायूस
मुहम्मदाबाद : गंगा के बाढ़ के पानी से इलाके के बच्छलपुर, जियनदासपुर, तमलपुरा, सेमरा, शिवरायकापुरा, माघी, पचासी, मुबारकपुर, जलालपुर, शेरपुर, कुंडेसर, शेरपुर खुर्द, धर्मपुरा, निकरोजपुर, फिरोजपुर आदि गांवों के सिवानों में लगी बाजरा, अरहर की फसल के साथ साथ बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती को नुकसान पहुंचा है। जलस्तर घटने के चलते खेतों में पानी निकलने के बाद मुरझाए पौधों को देख किसानों का कलेजा मुंह को आ जा रहा है। भांवरकोल : बाढ़ग्रस्त वीरपुर,धर्मपुरा, फिरोजपुर तथा शेरपुर के सत्तर, पचासी, माघी, मुबारकपुर सहित अन्य पुरवों के अलावा आमघाट नकटी कोलरानीपुर आदि स्थानों पर बोई गई हजारों एकड़ टमाटर, मिर्च, परवल गोभी, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग व उरद की फसलें बर्बाद होने के बाद जिन किसानों की फसलें बच पायी हैं किसान उनकी निकाई गुड़ाई व दवा के छिड़काव कर अपनी फसलों को पुष्ट व हराभरा करने में जुट गये हैं। मगई नदी के उफान के कारण आई बाढ़ से प्रभावित सियाड़ी के पास अब भी पानी का बढ़ाव जारी है। ---
सामाजिक संस्थाए मदद करने में जुटीं
मुहम्मदाबाद : बाढ़ पीड़ितों के मदद के लिए सामाजिक लोग भी आगे आना शुरू कर दिए हैं। मंगलवार को परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने खंड विकास अधिकारी राघवेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में बाढ़ प्रभावित शेरपुर के मुबारकपुर मल्लाह बस्ती में पहुंचकर 100 परिवारों को खाद्यान्न आदि सामग्री का पैकट वितरित किया। इस मौके पर मनीष कुमार राय, बालाजी राय, हेमनाथ राय, रवींद्र कुशवाहा, नितिन राय, जयप्रकाश पांडेय, सुरेश राय, आशीष राय, कृष्ण मुरारी राय, जितेश आदि थे। वहीं सत्यम फाउंडेशन मऊ की ओर से समाजसेवी जयानंद राय ने बाढ़ प्रभावित सत्तर, माघी, नरदह में पहुंचकर पीड़ित परिवारों के स्वास्थ्य की जांच कर नि:शुल्क दवा प्रदान की।
बना हुआ है मगई नदी के बढ़ने का क्रम
लौवाडीह : मंगई नदी के बढ़ने का क्रम जारी है । पानी मसौनी के संपर्क मार्ग पर पहुंच चुका है। परसा, राजापुर, खेमपुर, सिलाइच, मुर्तजीपुर, जोगामुसाहिब, करीमुद्दीनपुर, महेन्द, गोंड़उर, सोनवानी आदि गांव के खेत भी पानी मे डूब रहे हैं। सियाड़ी में मंगई नदी का पानी तो एक सप्ताह पूर्व ही पहुंच कर फसल को बर्बाद कर रहा है।
दवाओं का छिड़काव जरूरी
बारा : गंगा एवं कर्मनाशा नदी का जलस्तर घटने के बावजूद भतौरा, मगरखाई, कुतुबपुर एवं बारा गांव के संपर्क मार्गों पर अब भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। सेवराईं तहसील क्षेत्र के बारा, कुतुबपुर, मगरखाई, भतौरा, सायर, मनिहर,राजमल बांध आदि गांव के सैकड़ों मकान बाढ़ के पानी की जद में हैं। बाढ़ घटने के कारण इलाके के लोगों को राहत तो मिली लेकिन बाढ़ अपने पीछे जो गंदगी छोड़ेगी, उससे संक्रामक बीमारियों के फैलने की प्रबल आशंका है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे में स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांवों में दवाओं का छिड़काव किया जाना बेहद जरूरी है।